बावनथडी नदी के रेती घाटों का नीलामी करें राज्य सरकार

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    गोबरवाही. अंचल के तुमसर तहसील के सीमा से बावनथड़ी नदी बहती है. यह कोई बड़ी नदी नहीं है, यह वैनगंगा की सहायक नदी है, परंतु इस नदी पर मध्यप्रदेश का भी अधिकार है, इस नदी की कुल लंबाई करीब 80 किलोमीटर है यह नदी मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के मुंडेरा गांव से निकली हुई है, यह नदी बारहों महीने बहने वाली नदी नहीं है क्षेत्र के लोग इसे सुखी नदी कह कर भी पुकारते हैं. 

    इस नदी पर राजीव सागर बांध बन जाने से वैसे भी इसमें जलप्रवाह नहीं के बराबर है, मध्य प्रदेश का जिला प्रशासन बालाघाट नियमित रूप से बावनथड़ी नदी के रेती घाटों का नीलाम करता है, आधी नदी पर बालाघाट जिले का और आधी नदी पर भंडारा जिले का अधिकार है. 

    नदी के बीच कोई दीवार तो नहीं है कि यह पता लग सके कि यह बालाघाट जिले में है या भंडारा जिले में, इसी का फायदा बालाघाट जिले के ठेकेदार भी उठा रहे हैं और तुमसर तहसील का जो रेत माफिया है वह भी उठा रहा है. रेत माफियाओं पर राजनीतिक दलों का वरदहसत है. 

    रेत माफिया आक्रमक हो गए हैं, और प्रशासकीय अधिकारियों पर हमले हो रहे हैं, प्रशासन में काम करने वाले अधिकारियों या कर्मचारियों को कोई सुरक्षा नहीं है इसके कारण प्रशासन में असंतोष फैलता जा रहा है, क्या पटवारियों और कोतवाल नदी की सुरक्षा कर पाएंगे यह विचार करने की बात है. 

    बालाघाट जिले के रेती ठेकेदारों ने अपने स्वयं के सुरक्षागार्ड पूरे बावनथड़ी नदी के किनारे तैनात कर दिए है, यह नदी सूखी होने के कारण कहीं से भी रेती निकाली जा सकती है, वैसे भी भंडारा जिला प्रशासन ने बावनथड़ी नदी के रेती घाटों का नीलाम नहीं किया है, इसलिए मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के रेती ठेकेदार तुमसर तहसील के नदी के हिस्से में आकर रात और दिन रेती का उत्खनन कर रहे हैं. 

    अंचल के लोगों को रेती नसीब नहीं है, प्रधानमंत्री आवास योजना में जो घरकुल बनाए जा रहे हैं वह भी रेती के अभाव में अधूरे पड़े हैं, अन्य सक्षम नागरिक जो स्वयं का निर्माण कार्य करना चाहते हैं, उनके सामने यह प्रश्न है की रेती कहा से लाई जाए, यदि तुमसर तहसील के रीति घाटों का निलाम हो गया होता तो रॉयल्टी देकर आम नागरिक रेती घाटो के ठेकेदारों से भी रेती ले सकते थे.

    समाचार पत्रों में रेत माफिया के समाचार प्रतिदिन ही प्रकाशित हो रहे हैं फिर भी राज्य सरकार कुंभकरणी नींद में है, राज्य सरकार को मिलने वाला राजस्व नहीं मिल पा रहा है, नियमो के अंतर्गत रेत उत्खनन होना चाहिए परंतु यहां सभी नियमों की धज्जियां उड़ा दी जा रही है जिससे ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में बावनथड़ी नदी मृतप्राय हो जाएगी, पीने के पानी का संकट तथा खेतों की सिंचाई का भी संकट सामने आने की संभावना है.

    आम जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है, जहां मध्यप्रदेश सरकार को बावनथडी नदी से करोड़ों रुपए का वार्षिक राजस्व प्राप्त हो रहा है परंतु महाराष्ट्र सरकार के हिस्से का लाभ मध्य प्रदेश सरकार उठा रही है, महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल की साप्ताहिक मीटिंग में यह प्रश्न उठाया जाना चाहिए और इसका समाधान निकाला जाना चाहिए, या तो पूरे बावनथडी नदी के सारे अधिकार मध्य प्रदेश सरकार को दे देना चाहिए ताकि वह पूरे नदी का नीलाम कर सके, और वार्षिक नीलामी से जो राजस्व प्राप्त होता है वह दोनों राज्य आपस में बांट लें.

    सन 2014 के पहले केरोसिन के माफिया का भी बड़ा आतंक था. उनकी हिम्मत यहां तक बढ़ गई थी कि प्रशासन के अधिकारियों को जिंदा जलाने की घटनाएं भी इस राज्य में हुई है, आज हालत यह है कि मिट्टी तेल को कोई ग्राहक नहीं है, पहले कार चालक बाइक चालक ट्रक चालक केरोसिन से गाड़ियां चलाते थे आज तो केरोसिन के भी भाव आसमान छू गए हैं, वह गोरखधंधा बंद ही हो गया है, जिस प्रकार प्रशासन ने केरोसिन का बंदोबस्त कर दिया क्या उसी प्रकार का बंदोबस्त रेती का नहीं किया जा सकता इस बारे में मंथन करने की आवश्यकता है.