छोटे पुल पर यातायात खतरनाक; प्रशासन सुरक्षा दीवार बनाना भूला, नागरिकों में दहशत

Loading

भंडारा. जर्जर पुल पर ट्रैफिक के कारण हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है. इसके बाद ऐसे हादसों को रोकने के उपाय किए जाते हैं. हालांकि भंडारा स्थित वैनगंगा नदी के छोटे पुल पर कठडे लगाना प्रशासन भूल गया है, जबकि हादसे की आशंका बनी हुई है. इसलिए गरीब लोगों को जान हथेली पर रखकर इस पुल से सफर करना पड़ता है. गोसी खुर्द का पानी अवरूद्ध होने से चारों ओर से लबालब भरा यह पुल जानलेवा यातायात से लगातार मौत का पुल होने का आभास दे रहा है.

भंडारा में वैनगंगा नदी पर पहला पुल (छोटा पुल) 20 जुलाई 1929 को तत्कालीन सीपी और बेरार प्रांत के गवर्नर सर मोंटेग बटलर ने सार्वजनिक यातायात के लिए खोला था. समय के साथ यातायात में वृद्धि के कारण सन 2000 के आसपास इस पुल से कुछ दूरी पर एक बड़ा पुल बनाया गया. आजकल पूरे ट्रैफिक को बड़े पुल पर ले जाया गया है. बड़े पुल पर हादसों की आशंका के कारण दोपहिया, साइकिल सवार और पैदल यात्री छोटे पुल पर सफर करना पसंद करते हैं.

हालांकि, इस साल बाढ़ के कारण छोटा पुल पूरी तरह डूब गया था. इसकी कठडे पहले ही जर्जर हो चुके हैं. बाढ़ कम होने के बाद, पुल की मरम्मत की गई और इसे दोपहिया चालकों के लिए खोल दिया गया. हालांकि, सिस्टम कठडे लगाना भूल गया. पुल के बीच में कहीं भी कठडे नहीं है.कारधा गांव की दिशा में भी पुल पर कठडे नहीं है.

किसी घटना का है इंतजार

वैनगंगा नदी में पानी में आकंठ डूबी हुई है. इस पुल से आसपास के गांवों के ज्यादातर गरीब, मजदूर वर्ग यातायात करते है. इस पुल से प्रतिदिन हजारों नागरिक आवागमन करते हैं. इस बीच, कठडे की कमी के कारण उनकी जान को खतरा है. वैनगंगा की बाढ़ थमने और पुल की मरम्मत के  कई दिनों के बाद भी कठडे नहीं लगाए गए. क्या,कोई बड़ी घटना होने के बाद पुल पर कठडे लगाए जाएंगे? यह सवाल अब शहरवासी उठा रहे हैं.