किसान विरोधी शासन को जगाने के लिए अनोखा आंदोलन, हनुमान मंदिर में भजन कीर्तन कर चढ़ाई धान

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    सरकार किसानों के प्रति इतनी उदासीन क्यू

    सालई खुर्द. जिले के मूल धान खरीद केंद्र पर किसानों की पूरी धान खरीदें बिना ही पोर्टल बंद कर दिया गया है और अब 75 प्रतिशत किसान धान बेचने से वंचित हैं, धान कहाँ बेचा जाए? ऐसा सवाल किसानों द्वारा किया जा रहा है. इसी लिए किसानों ने सरकारी प्रशासन को सूझबूझ लाने के लिए उसर्रा के हनुमान मंदिर में अनोखे आंदोलन को अंजाम दिया.

    जिले के धान खरीद केंद्र पर सात से आठ दिन तक किसानों की धान खरीदी की गई. सरकार द्वारा अनाज खरीद केंद्र का पोर्टल बंद कर दिया गया है. इन बहुत कम दिनों में अनाज की खरीदी की गई. इसमें जिले के 25 फीसदी किसानों ने अनाज खरीदा और 75 फीसदी किसान वंचित रहे. इससे किसान वर्ग में आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है. उसर्रा गांव में क्षेत्र में हजारों किसानों की उपस्थिति में धान खरीदी केंद्र तत्काल और तत्काल शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन आयोजित किया गया था.

    भारत एक कृषि प्रधान देश है और इस देश में किसान संकट में हैं. सरकार की ओर से बुनियादी अनाज क्रय पोर्टल को बंद कर दिया गया है और ऐसे में किसानों को अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए गिरे दाम में गिरावट पर अपना अनाज व्यापारी को बेचना पड़ रहा है. 

    यदि कृषि प्रधान देश के किसान ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो इस देश की सरकार को किसान विरोधी सरकार कहलाना ही पड़ेगा. सरकार की ओर से इसकी अनदेखी की जा रही है. 

    विपुल मोहनलाल परिहार और उसर्रा गांव के सभी किसानों ने नारे लगाए जैसे “इस आंदोलन को सरकार को जगाने और सरकार को किसानों की मांगों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु यह आंदोलन किया गया. आंदोलन में हजारों किसान उपस्थित थे.

    25 प्रतिशत किसानों की धान खरीद कर पोर्टल बंद कर 75 प्रतिशत किसानों को धान खरीद केंद्र पर धान बेचने से वंचित रह गए है. 75 प्रतिशत किसान अपनी धान कहा बेचे ऐसा सवाल किसानों के सामने खड़ा हुआ है. अगर खरेदी केंद्र शुरु नहीं हुए तो 1940 में बेची जाने वाली धान किसानों को 1000-1200 के गिरे दाम में बेचना पड़ेगा जिससे किसान को भारी नुकसान होगा और किसान कर्ज के बोझ तले दब जायेगा. सरकार किसानों के प्रति इतनी उदासीन क्यू है यह सवाल किसानों के सामने खड़ा हुआ है.

    किसान गर्जना के संस्थापक अध्यक्ष राजेंद्र पटले ने किसानों का समर्थन किया और उन्हें राहत दी. इस समय अंकुश पटले, दुर्गाप्रसाद शरणागत, रोशन पटले, हैशोक शरनागत, गुलशन अठराहे, भागचंद शरणागत, प्रवीण शरनागत, संजय आंग्रे, रामरतन नामडुते, देवा पारधी, गोरेलाल बोपचे, रोशन पटले, श्यामू चौधरी, कैलास भगत, देवदास पटले, गजानन राउत, राजु सव्वालाखे और क्षेत्र के हजारो किसान मौजद थे.