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    भंडारा.  होली में गाठी का अनूठा महत्व है. पूर्व विदर्भ में सक्कर के पाक से गाठीयों का व्यवसाय किया जाता है. अब इस व्यवसाय में महिला बचत गट ने एन्ट्री कि है, इस व्यवसाय में मोहाडी तहसील के आंधलगाव कि महिला बचत गट ने लाखो का टर्नओवर किया है.

    आंधलगाव में इसके पहले बुनाई कारीगर के साथसाथ गाठी बनाने वाले कारीगरो की संख्या ज्यादा मात्रा में थी. लेकिन अब बदलाव के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है. गाठींयो का व्यवसाय भंडारा, तुमसर और पवनी तहसील तक ही सीमित था. लेकिन अब जिला परिषद के माध्यम से बचत गट की महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अब इस व्यवसाय को पुनर्जिवीत किया जा रहा है.

    आंधलगाव के पुरूषोत्तम ठाकरे इनकी पहले किराणा की दुकान थी. वह बाहरगाव से गाठी खरेदी कर के लाते थे, लेकिन 1995 से उसने गाठीयों का व्यवसाय सुरू किया. पिछले पाच सालो से उन्होने बचत गट के माध्यम से गाठी तयार करने का व्यवसाय शुरू किया. लक्ष्मी बचत गट की स्थापना करके महिलाओं को काम देना सुरू किया है. नागपूर, वर्धा, गोंदिया, चंद्रपूर इन जिलों में उनकी बनाई हुई गाठी जा रही है. इस व्यवसाय से महिलाओं को दो महिने तक काम मिलता है.

    जिलाधिकारी की भेंट

    पिछले दो सालो में कोरोना के चलते गाठी व्यवसाय में गिरावट आई है. लेकिन इस साल गाठी व्यवसाय को जोर शोर से सुरू किया है. जिलाधिकारी संदीप कदम ने आंधलगाव के लक्ष्मी बचत गट को भेंट देकर महिलाओ से इसबारे में चर्चा की.

    ऐसी तयार होती है गांठीया

    गाठी तयार करने के लिए पहले सक्कर को पिघलाकर उसका पाक तयार किया जाता है. वही गरम पाक लकडी के सांचे में डालकर उसे ठंडा किया जाता है. उसके बाद गाठींओ की माला तयार कि जाती है. 50 ग्रैम से लेकर एक किलो तक गाठी आंधलगाव में तैयार कि जाती है.

    गाठी व्यवसायिक ने कहा कि असली सक्कर के पाक से बने गाठीयो कि मिठास का स्वाद चखते समय कम से कम एक बार भट्टे के सामने काम करने वाले मजदुरो को सामने लाकर उसकी मेहनत को याद करो. इन महिला मजदुरो को दोन महिने तक काम देकर मुझे बहुत खु्शी मिलती है.