शिकारियों के संदेह पर ग्रामीणों की निर्मम पिटाई, हाथ पांव को लगाया करंट

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    • वन अधिकारियों के खिलाफ बढ़ा आक्रोश

    चंद्रपुर.  शिकारी समझकर वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा ग्रामीणों की निर्मम पिटाई किये जाने की घटना ताडोबा अभयारण्य परिसर में हुई. ग्रामीणों को न केवल डंडों से पीटा गया बल्कि उनके गुप्तांग पर बैटरी का करंट भी लगाये जाने का आरोप है.   इस पिटाई में 3 ग्रामीण घायल हुए.

    इस घटना के विरोध में चिंचोली तथा आसपास के 2 अन्य गांव के क्षुब्ध लोगों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देते हुए प्रदर्शन किया.

    घटना 24 नवंबर की बताई जा रही है. ग्रामीणों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार वन विभाग के 8 से 9 कर्मचारी दोपहर में चिंचोली गांव में घुस आए. यह गांव ताडोबा अभयारण्य से लगकर बसा हुआ है. गांव में प्रवेश करते ही वन कर्मियों ने गांव से 3 लोगों को उठाया और उन्हें वन विभाग के राम बाग स्थित कार्यालय तक ले गए. उठाये गए ग्रामीणों में ईश्वर रामटेके, हनुमान आसुटकर, संदीप आसुटकर का समावेश था.

    ग्रामीणों ने बताया कि, उक्त तीनों की वन विभाग के कार्यालय में वन कर्मियों ने पहले तो डंडों से जमकर पिटाई की. उनके हाथ और पांव पर बैटरी का करंट लगाया, इनमें से एक को विवस्त्र कर उसके गुप्तांग पर भी करंट दिया गया.

    यह तीनों अपनी गलती और गुनाह के बारे में वन कर्मियों से चीख चीख कर पूछ रहे थे,  किंतु कोई भी उनका क्या कसूर था इसका जवाब नहीं दे रहे थे. वे उन्हें बरबस पीटते ही जा रहे थे.लंबी पिटाई के बाद वन कर्मियों ने उन्हें शिकार के आरोप में यहां लाये जाने की बात ग्रामीणों से कही. 

    कुछ देर बाद उसी कार्यालय में वन कर्मी तीन और ग्रामीणों को ले आये तथा उनकी भी सबके सामने पिटाई शुरू की. जिनमें आकाश चांदेकर, संदीप नेहारे, मंगेश आसुटकर का समावेश था. उन्हें भी उसी प्रकार से टॉर्चर किया गया जैसे दोपहर को लाये गए तीन ग्रामीणों के साथ किया गया था. इन्हें रात 8 बजे छोड़ दिया गया. उक्त तीनों को वन कर्मियों ने देर रात को छोड़ दिया.

    बताया जाता है कि, 25 नवंबर को पुनः इन लोगों को वन कर्मी उठाकर ले गए तथा उनके साथ पुनः उसी प्रकार की पिटाई की गई. इस घटना से क्षुब्ध ग्रामीणों ने शुक्रवार को जिलाधिकारी तथा जिला पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और वन कर्मियों द्वारा बेगुनाह दलित, आदिवासी लोगों के साथ किये जा रहे कथित जुल्म की दास्तान सुनाई. 

    इस संदर्भ में वन विभाग के संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई  करने की मांग ग्रामीणों द्वारा की गई. दोनों अधिकारियों से मिलने गए ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल के साथ वे भी ग्रामीण उपस्थित थे जिनके साथ वन कर्मियों ने निर्मम पिटाई की थी. 

    इस घटना की सामाजिक कार्यकर्ता राजू झोड़े तथा एडवोकेट फरहत बेग ने निंदा की है. उन्होंने इस घटना को मानवीयता पर कालिख बताया है. उन्होंने कहा कि, केवल शिकारी होने के संदेह के आधार पर वन कर्मियों ने यह घटना को अंजाम दिया है. पीड़ितों को शीघ्र न्याय नहीं मिलने पर उन्होंने ग्रामीणों को साथ लेकर तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी है.