Chhath Puja 2023
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    माजरी. भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित छठ पूजा हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इसमें संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है. आस्था के महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ शुक्रवार को हुआ. 4 दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से की गई. छठ का व्रत काफी कठिन होता है. क्योंकि इस दौरान व्रती को लगभग 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है.

    हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है. छठ पूजा के दौरान षष्ठी मैया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है. छठ पूजा के पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व को संतान के लिए रखा जाता है. कार्तिक माह की  चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन  होता है.

    घर में बनती है लौकी या कद्दू की सब्जी

    नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी या घर में स्नान करते हैं और इसके बाद छठ व्रती प्रसाद बनाना शुरू करते हैं. इस दिन सिर्फ एक ही बार खाना खाया जाता है. नहाय-खाय वाले दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं और इस दिन हर घर में लौकी या कद्दू की सब्जी बनती है.

    इस दौरान तैयार किए गए भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नहाय-खाय के बाद छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस वर्ष खरना 29 अक्टूबर को है. इस दिन छठ व्रती गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं. इस प्रसाद को रात के समय खाया जाता है और बांटा भी जाता है. इसके बाद से ही छठ व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है. 

    छठ पूजा का पहला अर्घ्य

    छठ पूजा का तीसरा दिन काफी खास माना जाता है. इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन अर्घ्य के सूप को फल, ठेकुआ और चावल के लड्डू से सजाया जाता है. इसके बाद डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस वर्ष 30 अक्टूबर को दिया जाएगा. छठ पूजा के चौथे दिन व्रती द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. 31 अक्टूबर के दिन उगते हुए सूरज की अर्घ्य दिया जाएगा. फिर पारण करने के बाद छठ पर्व का समापन होगा.