चंद्रपुर. इसवर्ष के खरीफ मौसम में वातावरण में निरंतर हो रहे बदलाव, बदली और निरंतर बारिश का असर का फसलों पर होरहा है. धान फसल पर फौजी ईल्लियों एवं अन्य रोगों के कारण फसल प्रभावित हो रही है. पहले बारिश ना होने से किसान चिंतित थे अब निरंतर बारिश ने फसलों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. किसानों द्वारा फसल को बचाने के लिए विभिन्न तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है परंतु कुछ फायदा नजर नहीं आ रहा है.
जिले के मूल, सावली, नागभीड़ सिंदेवाही, ब्रम्हपुरी, चिमूर, गोंडपिपरी, पोंभूर्णा इन क्षेत्रों में धान की फसल बड़े पैमाने पर ली जाती है. इस वर्ष मृग नक्षत्र के पूर्व हुई बारिश ने किसानों को उम्मीदों को पंख लगा दिए थे जिसके चलते धान उत्पादक इन तहसीलों में बड़े पैमाने पर धान की फसल ली गई. और जून के बध्यम में आयी बारिश ने किसानों के प्रयासों सहारा दिया. जुलाई के मध्य तक रोपाई काम पूरा हो चुका था.
जुलाई में हुई बारिश ने फसल ने विस्तार लिया और जुलाई अगस्त में रूक रूककर हुई बारिश से फसल को फायदा हुआ है. परंतु सितंबर की शुरूआत से ही बदली भरे वातावरण और बीच बीच में बारिश के असर दिखाने से फौजी ईल्लियों समेत अन्य रोगों का आक्रमण नजर आ रहा है. फौजी ईल्ली के साथ धान पर खोडकिडा और तुडतुडया रोग का संक्रमण हुआ है.
ब्रम्हपुरी तहसील धान उत्पादन की प्रमुख तहसील है. यहां धान की दोनों तरह की किस्म ली जाती है. यहां हलका और भारी दोनों प्रकार का धान लिया जाता है. जब बारिश नहीं हो रही थी तब खोडकीडा और तुडतुडया रोग का असर दिखाई दिया वहीं अब बारिश के निरंतर होने से अब फौजी ईल्लियां हो रही है. फौजी ईल्लियों से बचने के लिए किसानों ने कीटनाशक का छिडकाव भी किया परंतु ईल्लियों का प्रभाव कम नहीं हो पा रहा है. ऐसे में कृषि विभाग द्वारा गांव गांव में किसानों का मार्गदर्शन शिविर लेकर उन्हें इस मुसीबत से निपटने क लिए मार्गदर्शन किए जाने की अत्यंत जरूरी है. परंतु कृषि विभाग इस संदर्भ में अब भी अनभिज्ञ है.
रोगों का खात्मा करने के लिए किसानों ने पारंपारिक उपाय करना बंद कर दिया है. प्रात्याक्षिक के माध्यम से प्रत्येक गांव में धान फसल पर रोगों का खात्मा करने के लिए प्राकृतिक उपाययोजना के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता है. कृषि विभाग फसलों की रक्षा के लिए रासायनिक कीटनाशक के बजाय जैविक कीटनाशक निंबोली अर्क के इस्तेामल की सलाह दी है. निंबोली अर्क कैसे तैयार किया, इसका कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया, छिडकाव कैसे किया जाए इस बारे में किसानों को कुछ खास जानकारी नहीं है,इसके चलते किसानों को फसलों का नुकसान होने की चिंता सताने लगी है.
किसानों का कहना है कि वे महंगे रासायनिक कीटनाशक खरीदकर छिडकाव कर रहे है परंतु रोगों से प्रभावित फसल पर इसका असर नहीं हुआ है. मौसम में हुए बदलाव से धान पर फौजी ईल्ली, गादमाशी, करपा, कडा करपा, खोडकीडा आदि रोगों का असर दिखाई देता है. इन रोगों से फसल को बचाने के लिए किसान पारंपारिक रूप से अब तक कीटनाशक का इस्तेमाल करते आ रहे है. परंतु यह उपाययोजना किसानों के लिए बेअसर साबित हो रही है. इसलिए किसान फसल को लेकर चिंता में है.