पुन: नक्सल प्रभावित तहसील घोषीत करने हेतु 58 संगठन का प्रदर्शन, जिलाधिश कार्यालय समक्ष किया आंदोलन

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    चंद्रपुर. राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जिले व तहसीलों को पुन: घोषित करने की मांग को लेकर जिला कर्मचारी संघ समन्वय समिति के नेतृत्व में विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संगठन के सरकार्यवाह सुधाकर अडबाले, सहसमन्वयक दिपक जेऊरकर, जिला राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के सामूहीक नेतृत्व में जिला कर्मचारीयों की 58 संगठनों ने सोमवार की दोपहर 2.30 से 5.30 बजे जिलाधिश कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से बहिष्कृत जिले व तहसील को पुन: नक्सल प्रभावित घोषित करने की मांग जिलाधिश के माध्यम से सीएम को भेजे गए ज्ञापन में की.

    महाराष्ट्र राज्य मंत्रालय के 13 अप्रैल 2022 के पत्र अनुसार राज्य के यवतमाल, भंडारा, नांदेड़ जिलों को पूरी तरह से बाहर कर दिया है. गोंदिया जिले के 4 तहसील व चंद्रपुर जिले के 6 तहसील को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बाहर रखा गया है. 

    चंद्रपुर जिला नक्सली आंदोलन से प्रभावित होने से पुणे, मुंबई और नागपुर के वरिष्ठ अधिकारी और सामान्य कर्मचारी इस जिले में काम करने के इच्छुक नहीं हैं. इस जिले में स्थानांतरण होना मतलब काले पानी की सजा समझते है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से विकास की दृष्टी से केंद्र व राज्य सरकार की ओर से विशेष नीधि जिले को दिया जाता है. इसी प्रकार नक्सल प्रभावित क्षेत्र से 6 तहसील को बाहर करने पर खतरो की पुनरावृत्ती से इंकार नहीं किया जा सकता.

    विशेष नीधि होने से अधिकारी, कर्मचारी इस जिले में काम करते है. इस पृष्ठभूमि पर जिले में विकास करने हेतु नक्सल प्रभावित तहसील को को पुन: घोषित करने की मांग को लेकर 58 संगठनों ने एकत्रित आकर समन्वयक सुधाकर अडबाले के नेतृत्व में हजारों की संख्या में शासकीय, अर्धशासीय शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारीयों की उपस्थिति में सोमवार को जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया गया. 

    प्रदर्शन में जिला कर्मचारी संगठन क समन्वय समिति के सहभागी 58 संगठन के प्रमुख राज्य नेता दिपक जेऊरकर, रमेश पिंपलशेंडे, विजय भोगेकर, हरीश ससनकर, जगदिश जुनगरी, शालीक माऊलीकर, सुधाकर काकडे, मोरेश्वर बरसागड़े, प्रा.  योगेश दूधपाचारे, प्रा. प्रमोद शंभरकर, प्रा. संजय गोरे, प्रा. सूर्यकांत खनके, मधुकर चापले, राजेंद्र खाड़े, शालिक फाले, श्रीहरी शेंडे, निखिल तांबोली, सुभाष बेरड,  नीलेश कुमरे, प्रभाकर पारखी आदि ने प्रयास किए.