जख्मी चितल की उपचार के दौरान मौत, अज्ञात वाहन ने मारी थी टक्कर

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    तलोधी: तलोधी बालापुर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत गोविंदपुर बिट से जानेवाला तलोधी-नेरी मार्ग पर बुधवार 16 फरवरी को अज्ञात वाहन की टक्कर में एक चितल जखमी पाया गया। 

    घटना की जानकारी मिलते ही गोविंदपुर के क्षेत्र सहाय्यक व वनरक्षक ने 9 से 10 महिने की मादा चितल को जख्मी वस्था में सावरगांव के नर्सरी में लाकर उपचार शुरू किया। उपचार के दौरान शुक्रवार 18 फरवरी की सुबह मौत हो गई। चितल के शव का पंचनाम कर उसे जलाया गया। 

    इस समय गोविंदपुर बिट क्षेत्र के सहाय्यक आर एस गायकवाड, वनरक्षक पी एम श्रीरामे, स्वैब नेचर केअर के अध्यक्ष, संस्था के सदस्य महेश बोरकर, भारत चुनारकर, नर्सरी के वनरक्षक डी। डब्ल्यू। येडणे, वनमजदूर के बी पाकडे आदि की उपस्थिति में मृतक चितल को सावरगांव नर्सरी में जलाया गया। 

    ऐसे सैकडो वन्यप्राणियों की सडक हादसे में मौत हो रही है। इसमें नागपुर_मुल_चंद्रपुर हायवे ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प, करांडला अभयारण्य व घोडाझरी अभयारण्य से गया है। हायवे होने के कारण मार्ग से गुजरनेवाले वाहन तेज रफ्तार से वाहनों को दौडाते है। यह मार्ग जंगल से जाने के कारण कई वन्यजीव मार्ग को पार करते है।

    जिसमें किसी ना किसी अज्ञात वाहन की टक्कर में इन वन्यजीवों की मृत्यु होती है। वाहनों की चपेट में आने से चितल के अलावा वाघ, तेंदुआ, भालू, सांबर, सियार के अलावा साप, केछुवा, उदविलाव जैसे प्राणि सडक हादसे में मारे जाते है।

    वनविभाग, वन्यजीव प्रेमी, पर्यावरणवादी संस्था ने इस संदर्भ में लोकनिर्माण विभाग का सडक निर्माण करते समय इस बात पर गंभीरता से विचार कर उस तरह के सडक निर्माण अथवा सडकों पर स्पीड ब्रेकर लगाने की मांग की है। वन्यजीवों की दुर्घटना ग्रस्त स्थान पर ‘उड्डाणपुल’ की निर्मिती अथवा भुयारी मार्ग निर्माण कराने की उपाययोजना करने की मांग की है।