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  • वेकोलि अधिकारियों के आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित

राजुरा: शेतकरी संगठन, शेतकरी महिला आघाडी स्वतंत्र भारत पक्ष एवं युवा आघाडी की ओर से आज सोमवार 18 दिसंबर को राजुरा तहसील के कोयला प्रकल्प वाले साखरी गांव के पास राजुरा-कवठाला मार्ग पर रास्ता रोका आंदोलन किया गया. इस समय सैकडों किसान, प्रकल्पग्रस्त, महिला और युवाओं ने रास्ता रोककर यातायात ठप कर दी. आखिरकार वेकोलि अधिकारियों ने 5 जनवरी को इन सभी प्रश्नों पर चर्चा कर मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिए जाने से आंदोलन स्थगित किया गया.

आंदोलन का नेतृत्व वरिष्ठ किसान नेता पूर्व विधायक एड.वामनराव चटप, नीलकंठ कोरांगे,  पोर्णीमा निरंजने, शेषराव बोंडे, बाजार समिती संचालक प्रभाकर ढवस, दिलीप देठे, कपील इद्दे, बाबा कावळे, कवडू पोटे, हरिदास बोरकुटे, दत्तु ढोके, संजय करमरकर, रमेश नळे, नरेंद्र काकडे, दिलीप देरकर, हरिश्चंद्र आवारी, दत्ता हिंगाणे, साखरी सरपंच प्रणाली मडावी, पोवनी सरपंच पांडूरंग पोटे, चार्ली सरपंच सुरेंद्र आवारी, गोयगाव सरपंच बंडू कोडापे, निमनी सरपंच अतुल धोटे, बाखर्डी सरपंच अरूण रागीट, चिंचोली उपसरपंच विजय मिलमिले, गणपतराव अडवे, गणेश रोगे, माजी नगरसेवक मधु चिंचोलकर, संतोष डोंगे, कवठाळा उपसरपंच निरंजन गौरकार, नानाजी पोटे सहित सरपंच,उपसरपंच, ग्रामपंचायत सदस्य एवं शे.सं. के पदाधिकारियों ने किया. 

किसान, बेरोजगार युवक एवं प्रकल्पग्रस्तों के विभिन्न ज्वलंत मांगों को लेकर रास्ता रोको आंदोलन किया गया. स्थानीयों को रोजगार दिया जाए, कंपनी परिपत्रक के अनुसार वेतन दिया जाए, रास्तों के गड्ढे बुझाये जाए, खेती की ओर जानेवाला मार्ग खुला करें,  किसानों को नुकसान भरपाई एवं रोजगार दिए बिना वेकोलि खेत में काम शुरू ना करें, साखरी गांव में घरों को ब्लास्टिंग के कारण नुकसान पहुंच रहा है. कम तीव्रता की ब्लास्टिंग की जाए, ग्रामपंचायत में डीजल के लिए अनुमति (एनओसी) लेते समय सब एरिया सोलंकी एवं हर्षा कंपनी ने गांव के 50 युवाओं को काम पर लेने का आश्वासन दिया था. परंतु अब तक एक को भी रोजगार नहीं दिया गया है. सभी को रोजगार दें, महिलाओं को रोजगार उपलब्ध किया जाए, 9 मार्च को हुए आंदोलन की मांगें पूर्ण करें, वेकोलि के कोयला खदान मे कार्यरत हर्षा कंपनी में कार्यरत कामगारों को वेतन की अंतर की राशि दे आदि मांगें की गई. 

इस समय वेकोलि के अधिकारी आंदोलन स्थल पर पहुंचे और आंदोलक नेताओं से विस्तृत चर्चा की. और 5 जनवरी को मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय में बैठक लेकर सभी मांगों को सुलझाने का आश्वासन दिया. इसके बाद रास्ता रोका आंदोलन वापस लिया गया. 

इस आंदोलन में मारोती लोहे, भास्कर लोहे, भास्कर जुनघरी, रामदास जिवतोडे, बबन पिदुरकर, नंदकुमार कावळे, मारोती पोटे, मनोज उरकुडे, किशोर चौधरी, सिंधु लांडे, रमेश गौरकार, मारोती गव्हाणे, भाऊराव बोबडे, सुरज जिवतोडे, उत्पल गोरे, साईनाथ पिंपळशेंडे, समाधान लडके, रमेश बोंडे, मारोती सातपुते, आबाजी धोटे, बळीराम कुचनकर, मधुकर कुचनकर, महादेव ताजणे, अनिल डाखरे, रमेश बोबडे, रंगराव कुळसंगे, प्रभाकर लडके, रमेश रणदिवे, राजु पाटील, सचिन कुडे, राहुल बानकर, सुरज गव्हाणे, दिनकर डोहे, बळीराम खुजे, पुंडलिक ताजणे, भिवसन गायकवाड, पुंजाराम ठक, सुभाष जिवतोडे, सुधाकर पिंपळशेंडे, मधुकर लडके, मारोती पिंपळशेंडे, सुभाष काटवले, बाबुराव बोढाले, विनायक महाकुलकर, मनोज गोरे, जनार्धन झाडे, मारोती झाडे, स्वप्निल घोटे, शंकर थेरे, रामदास वंगणे, महादेव थेरे, परशुराम भोयर, सचिन डेरकर, बंडू बोबडे, सुरेंद्र गोरे, सुधाकर उरकुडे, विनोद पोटे, पांडूरंग गाडगे, भास्कर पोटे, प्रफुल कोलावार समेत सैकडों नागरिक आदि बडी संख्या में महिलाएं शामिल हुई.