Crop Damage

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    चंद्रपुर. इस साल जुलाई माह में मानसून ने काफी जोरदार असर दिखाया जिसके चलते लगातार चार चार बार लोगों को बाढ का सामना करना पड़ा. रिहायशी क्षेत्रों क मकानों का तो नुकसान हुआ ही इससे अधिक प्रमाण में कृषि क्षेत्र का नुकसान हुआ है. जिनके मकान आंशिक या पूरी तरह से ढह गए ऐसे बाढ पीड़ितों को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से तुरंत सहायता मिल गई जो कि ऊंट के मूंह में जीरे के भांति थी. कुछ को अब भी मुआवजे की प्रतीक्षा है. वहीं किसानों का तो काफी बुरा हाल है.

    कई ऐसे किसान है जिनका कहना है कि ना तो उनके यहां आकर किसी ने पंचनामा बनाया और ना ही अब तक उनके खाते में किसी भी तरह की मुआवजा राशि मिली है. आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहे धान उत्पादक क्षेत्र ब्रम्हपुरी, मूल समेत वरोरा, भद्रावती, राजुरा, चंद्रपुर, बल्लारपुर के बाढ प्रभावित किसानों में अधिकांश को अब तक मुआवजा राशि नहीं मिली है.

    विदित हो कि इस वर्ष बाढ का सर्वाधिक प्रभाव वरोरा, भद्रावती, मूल, ब्रम्हपुरी, नागभीड, सिंदेवाही, कोरपना, जिवती और चंद्रपुर, राजुरा, बल्लारपुर आदि तहसीलों में रहा. इनमें से कुछ तहसीलों में पंचनामे किए गए तो कुछ में अभी पंचनामे बनाने का काम शुरू है जबकि किसानों ने दोबारा, तिबारा फसल ले ली है. संबंधित राजस्व कर्मियों ने घर बैठकर ही पंचनामे बनाकर प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है. अब किसान चिंतित है कि उन्हें मुआवजा मिलेगा या नहीं.

    जिले में बाढ का सामना ब्रम्हपुरी के धान उत्पादक किसानों को करना पडा. यहां 37 से अधिक ग्रामों में लगातार बाढ आयी. गोसीखुर्द के दरवाजे खोलने से वैनगंगा उफान पर आने के कारण कुल 17 हजार  840 हेक्टेयर खेती बाढ से प्रभावित हुई. कुल 15 हजार  791 किसानों को बाढ का नुकसान उठाना पड़ा. किसानों का कहना है कि राजस्व विभाग के अधिकारी खेतों में आकर मुआयना कर गए परंतु अब तक पूरी तरह से पंचनामे तैयार नहीं किए गए है.

    अगस्त माह के शुरूआत में तहसील के लाडज, पिंपलगांव, अहेर, चिखलगांव, भालेश्वर, हरदोली, चिंचोली, पारडगांव, बेटाला, बोढेगांव, खरकाडा, नवेगांव, झीलबोंडी, बेलगांव, मांगली, किन्ही, जुगनाला, रणमोचन, बरडकिन्ही, आवलगांव, वांद्रा, मुडझा, हलदा, गांगलवाडी, रूई, निलज आदि गांव में बाढ का असर हुआ है. किसानों का कहना है कि उनका लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है परंतु सरकार की ओर से प्रति हेक्टर 13 हजार 600 रुपये मिलेगे वह भी कितने महीनों बाद मिलेगे इसकी कोई जानकारी देने को तैयार नहीं है. केवल प्रतीक्षा हो रही है.

    ब्रम्हपुरी से कई अधिक बुरा हाल वरोरा के किसानों का रहा यहां कपास, सोयाबीन, धान, तूअर बोई जाती है. यहां जुलाई माह में लगातार तीन बार बाढ की विभीषिका झेलनी पडी. पहली बार तो 9 दिनों तक खेत तालाब बने हुए थे. कई किसानों के खेतों में गाद जमा होने से दोबारा फसल लेना कठिन हो गया है. अब तक पंचनामे बनाने का ही काम शुरू है. तहसील की कुल 67 हजार हेक्टेयर में 29 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ से प्रभावित है.

    मूल तहसील में कुल रोपाई क्षेत्र 46 हजार  394.94 हेक्टेयर  है. इसमें से 26हजार  299.14 हेक्टेयर में बुआई हुई थी. इसमें धान की फसल 22 हजार 329 ली गई थी. इसके अलावा गेंहू, मक्का, सोयाबीन, तूअर की फसल ली गई थी. मूल में इस वर्ष सर्वाधिक बारिश हुई है. अब पंचनामे का काम शुरू है. किसान नुकसान भरपाई की प्रतीक्षा में है. इसी तरह की स्थिति अन्य तहसीलों की भी है.