MP Bhagwat Karad
File Photo

    Loading

    चंद्रपुर. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री  डा. भागवत कराड़ ने यहां साफ शब्दों में कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई खतरा नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद सरकार विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्था में हो रहे विपरीत परिणामों पर बारीकी से ध्यान देकर देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है.

    नवभारत से एक विशेष इंटरव्यू में  डा.कराड़ ने कहा कि,पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण की दृष्टि से भी केंद्र सरकार विशेष रूप से प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में पिछले एक वर्ष में अपनी तरफ से दो बार सार्थक कदम उठाते हुए लोगों को राहत देने का काम किया है, अब बारी राज्य सरकारों की है.

    देश मे जहां जहां भाजपा शासित राज्य सरकारें है, उन्होंने करों में कटौती करते हुए अपने अपने राज्यों के लोगों को और अतिरिक्त राहत पहुंचाने का काम किया है, लेकिन गैर भाजपा शासित राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों में लोगों को पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में अतिरिक्त राहत देने में आनाकानी कर रहे है. उक्त सरकारों को आम नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है, महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार के तीनों घटक दलों के मुंह अलग अलग दिशाओं की तरफ है.

    उन्होंने कहा कि,पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध ही है, यह कीमतें राष्ट्रीय स्तर पर नहीं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होती है. इसके बावजूद मोदी सरकार सारी परिस्थितियों पर ध्यान देकर निर्णय ले रही है, प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष दीवाली के समय में पेट्रोल, डीजल की कीमतें कम की थी. साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों से आहवान भी किया था कि, वे भी अपनी तरफ से कीमतें कम करें, किंतु महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य सरकारों ने इस आहवान को कोई प्रतिसाद नहीं दिया.

    अब जबकि केंद्र ने पेट्रोल, डीजल की कीमतों में और कटौती की, तब भी गैर भाजपा शासित राज्य सरकारें खामोश ही है, महाराष्ट्र में दो, ढाई रुपये कम करने का दावा भले ही महाविकास आघाडी सरकार कर रही हो, लेकिन जब ऊपर से ही टैक्स कम किया गया हो तो, इतना फर्क पड़ना तो स्वाभाविक ही है. राज्य की मविआ सरकार बेहद असंवेदनशीलता से काम कर रही है.

    उन्होंने कहा कि, विश्व स्तर पर अन्य देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था को कदापि कोई खतरा नहीं है. कोरोना संकट के बाद अब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है, प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन के नेतृत्व में जो कदम उठाये जा रहे है, उससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्राप्त हो रही है, एमएसएमई के तहत भी सरकार ने नए पैकेज जारी किए जिससे कोरोना के बाद उद्योगों की स्थिति सक्षम रहे और रोजगार कम ना हो.

    देश का व्यापार और कारोबार तरक्की की राह पर चल रहा है, जहां जीएसटी के रूप में प्रतिमाह 1 लाख करोड़ के टैक्स का लक्ष्य लेकर हम चल रहे थे, वहीं प्रतिमाह 1.65 करोड़ का जीएसटी वसूल हो रहा है, यह इस बात का साफ संकेत है, की देश की अर्थव्यवस्था सुधर रही है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए सर्वेक्षण से भी यह बात स्पष्ठ हो चुकी है कि, अन्य देशों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है. 

    केंद्रीय राज्यमंत्री डा. कराड़ ने पिछले दिनों फ्लाइट में उनके साथ हुए बहुचर्चित किस्से को साझा करते हुए बताया कि, वे जब दिल्ली से एक फ्लाइट से मुंबई की तरफ आ रहे थे तब फ्लाइट में अचानक एक यात्री की तबियत खराब हुई और वह बेहोश हो गया था. एयर होस्टेस ने जब विमान में 

    उदघोषणा करते हुए फ्लाइट में कोई डॉक्टर हो तो हाथ उठाने की अपील की, उन्होंने एक पेशेवर डॉक्टर होने के नाते हाथ ऊपर किया और उस यात्री को प्राथमिक चिकित्सा दी, जिससे कुछ पलों में ही उस यात्री को होश आ गया. इस बात की सूचना उस एयर होस्टेस ने अपनी विमान कंपनी को दी होगी, जिसके आधार पर विमान कंपनी ने एक ट्वीट करते हुए उनका शुक्रिया अदा किया, यह बात प्रधानमंत्री मोदी तक पहुंचने के बाद उन्होंने भी ट्वीट कर उनकी तारीफ की.

    ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर  डा. कराड़ ने कहा कि, ओबीसी समाज के  अधिकारों की हत्या करने का पाप महाविकास आघाडी सरकार ने किया है, सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार से बार बार कह रहा था कि, वे इम्पेरिकल डेटा पेश करें, कोर्ट में 13 बार सुनवाई होती रही, अंततः जब कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण रद्द किया, तब कहीं जाकर देर सवेर राज्य सरकार ने आयोग का गठन किया, किंतु आयोग को न कोई स्टाफ दिया गया और ना ही खर्च करने के लिए कोई निधि का प्रावधान किया गया. जो काम मध्यप्रदेश सरकार ने कर दिखाया वह महाराष्ट्र सरकार को संभव नहीं हो सका. 

    उन्होंने कहा कि, मविआ सरकार को जनता के प्रश्नों से कोई लेना देना नहीं है, अपनी विफलता छुपाने के लिए महाराष्ट्र सरकार केंद्र की तरफ इशारा करने का काम कर रही है, इस मुद्दे पर राजनीति करते हुए भाजपा को बदनाम करने की नाकाम कोशिश की जा रही है, जबकि ओबीसी समाज अच्छी तरह से जानता है कि, उनके राजनीतिक आरक्षण के सही हत्यारे कौन है और इसका खामियाजा मविआ सरकार को भुगतना ही पड़ेगा.