In Maharashtra, 65 people died in just 9 months in wild animal attacks, 23 tigers died in 6 months, the state government said
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    • किसी भी क्षण घट सकती है अनहोनी

    बल्लारपुर: शहर की पूर्वी सीमा पर स्थित घने जंगल के चलते शहरवासी की इन दिनों जंगली हिंसक प्राणियों के सहवास में रहने के लिए मजबूर हो गये हैं, ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर झोन से नजदीकी रहने तथा व्याघ्र प्रकल्प का क्षेत्र छोटा पड़ने के कारण प्रकल्प के हिंसक जंगली प्राणी बफर झोन से भी बाहर आकर अपना आशियाना बनाने में लगे हैं.

    गत वर्ष से पेपरमिल के स्लज गार्डन क्षेत्र में एक मादा तेंदुए ने डेरा डाल रखा है, शहर के दीनदयाल वार्ड, राजेंद्र प्रसाद वार्ड तथा गोकुल नगर के  कई पालतू मवेशी को इसने शिकार बनाया है, आवारा श्वान तथा सूअरों की तो गिनती ही नही है, वनाच्छादित क्षेत्र तथा भरपूर पानी की उपलब्धता के चलते तेंदूए गत वर्ष से यहा ठिया मार बैठा है, पेपरमिल न्यू कॉलोनी ओल्ड कॉलोनी, विसापूर नांदगांव पोडे के हलाके में यह तेंदुआ कई नागरिको को नजरे दीदार करा चूका है. गतवर्ष इसने ड्यूटी से वापिस जाते विसापूर निवासी पेपरमिल कर्मी पर हमला भी किया था परंतू अन्य सहकर्मियों के हो हल्ला मचाने से वह भाग गया था.

    किसी मानव पर हमला करने की एकमात्र घटना अलावा अभी तक कोई दुर्घटना के समाचार नही हैं, परंतु गत तीन-चार दिनों से यह तेंडुआ पेपरमिल ओल्ड कालोनी के रिहायशी क्वार्टरो की छत पर मंडराता दिखाई पड़ने पर तथा पेपर मिल प्रबंधन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं करने पर कॉलोनी की महिलाओं ने सोमवार को मानव संसाधन महाप्रबंधक का घेराव किया, जिसके बाद मिल प्रबंधन के अनुभवी व  वरिष्ठ अधिकारीयों ने मंगलवार को उप वन संरक्षक से भेंट की. जानकारी के अनुसार वन विभाग इस क्षेत्र में दो ट्रैप कॅमेरे स्थापित कर तेंडुए की हरकतो पर नजर रख रहा है.

    दुसरी ओर शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित वनविकास महामंडल के कार्यालय के पास एक बाघ ने लोगो को दर्शन दिये, सुबह की सैर के किए निकले स्थानीय पुलिस स्टेशन में कार्यरत हेड कॉन्स्टेबल सतीश पाटील जब वनविकास भवन के पीछे की सड़क से जा रहे थे उसी समय एक बाघ झडियों ये निकला और सडक पर आ गया, सतीश पाटील मारे भय के वही ठिठक गये. उन्होने बाघ को अपने मोबाईल कैमेरे में कैद किया तथा उल्टे पांव वापिस आ गये, स्थानीय वन परिक्षेत्र अधिकारी रमेश भोवरे से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि गत कुछ दिनो से एक बाघ एफडीसीएम  जंगल से लेकर दहेली ग्राम तक साईटिंग हो रही है तथा वन विभाग के कर्मचारी उसपर नजर रखे हुये हैं.

    शहर से लगे जंगल तथा रिहायशी क्षेत्रों मे हिंसक प्राणियों के मुक्त विचरण से शहरवासी भयभित है. विशेषकर दोपहिया से चंद्रपुर या जंगली क्षेत्र स्थित गोवो में जानेवाले नागरिक अक्सर जान हथेली में लेकर चलते है, बढ़ती वन्य प्राणियों की संख्या तथा घटते जंगल के संबंध मे कोई उपाय योजना ना तो सरकार के पास है और ना ही वनविभाग के पास.

    उल्लेखनीय है कि चंद्रपुर जिले में गत कुछ वर्षो में मानव-वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाएं घटीत हुई है. फिर भी वनाधिकवि इससे सबक लेने को तैयार नही है. वन अधिकारी की माने तो उनके लिए मानव की अपेक्षा वन्य प्राणियो के प्राण ज्यादा किंमती है. हिंसक प्राणियों के हमले में जान जाने पर मुआवजे की खानापूर्ती तक सीमित रह गया वन विभाग, मानव-वन्यजीव संघर्ष ना हो इसके लिए कुछ करना दिखाई नहीं पड़ता.