water crisis
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    चंद्रपुर. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे मोती, मानुस, चून. इस शब्दों में संत रहीम ने पानी के महत्व को निरुपित कर दिया. आज यही हाल गोंडपिपरी तहसील के नांदगांव हेटी व टोले नांदगांव का है जहां बिना पानी के वहां के युवाओं का ब्याह नहीं हो रहा है. ग्रीष्मकाल के दिनों में यह गांव विशेष चर्चा में आता है. इसकी दखल लेकर राज्य के जलसवंर्धन मंत्री जयंत पाटील ने गोंडपिपरी तहसील के नांदगांव हेटी गांव की जलसमस्या की जानकारी लेकर समस्या के उपाय योजना का भरोसा दिया है.

    राजुरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गोंडपिपरी तहसील आज भी विकास से कोसों दूर है. क्योंकि हर दल ने गोंडपिपरी तहसील के नागरिकों को महज वोटबैंक के रुप में उपयोग किया है. इसका नतीजा है कि आज तक तहसील में कोई उद्योग, कल कारखाना नहीं है और युवाओं को रोजगार की तलाश में दूसरे जिले और पडोसी राज्यों में जाना पडता है. दो दशक से गांव की जलसंकट की समस्या है किंतु आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली और नतीजा इन गांव के निवासियों के नाले के पानी पर निर्भर रहना पडता है.

    सकमुर प्रादेशिक जलापूर्ति योजना के तहत सात गांवों के नागरिकों को नल के माध्यम से  पानी की आपूर्ति की जाती है. लेकिन, संबंधित ठेकेदार की लापरवाही के कारण कई बार दूषित पानी की आपूर्ति हो जाती है. तो कभी-कभी एक पखवाड़े के लिए पानी बंद रहता है. ऐसे समय में नागरिकों को पीने के पानी के लिए पास के नाले के गड्ढे से लाना पड़ता है. इसकी वजह से लोग इस गांव में अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहते है.

    जिले के गांव की यह समस्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों को नहीं दिखी किंतु हजार किमी दूर बैठे जलसंवर्धन मंत्री ने इसकी दखल लेकर जानकारी मांगी और जलसंकट से छुटकारा दिलाने का भरोसा दिया है. छोटे छोटे मुद्दों को लेकर प्रसार माध्यम में बने रहने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आज तक इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है. अब देखना है कि गांव के जलसंकट की समस्या दूर होगी अथवा नहीं?