मुंबई. यहां की एक अदालत ने कहा है कि मौरिस नोरोन्हा के अंगरक्षक के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘उचित प्रतीत’ होते हैं। मौरिस ने अपने अंगरक्षक की पिस्तौल का इस्तेमाल शिवसेना (यूबीटी) नेता अभिषेक घोसालकर की हत्या करने में किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश सासने ने यह टिप्पणी पांच मार्च को अमरेंद्र मिश्रा को जमानत देने से इनकार करने के दौरान की।
मिश्रा को शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। मिश्रा पर शस्त्र अधिनियम की धारा 29 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो यह सुनिश्चित किए बिना किसी को हथियार सौंपने के अपराध से संबंधित है कि क्या उस व्यक्ति को इसे रखने की कानूनी अनुमति है। विस्तृत आदेश मंगलवार को उपलब्ध हुआ।
अदालत ने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि क्या मिश्रा ने नोरोन्हा को बंदूक मुहैया कराई थी और घोसालकर की हत्या की साजिश रची थी। एक स्थानीय व्यवसायी और ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ नोरोन्हा ने पिछले महीने उपनगरीय बोरीवली में फेसबुक के एक लाइव सत्र के दौरान घोसालकर को मारने के लिए कथित तौर पर मिश्रा के हथियार का इस्तेमाल किया था और बाद में खुद भी जान दे दी। अपनी जमानत याचिका में मिश्रा ने दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे मामले में फंसाया गया है।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि नोरोन्हा ने घोसालकर को गोली मारने के लिए मिश्रा की बंदूक का इस्तेमाल किया था और दोनों ने हत्या की साजिश रची थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि नोरोन्हा ने अपने अंगरक्षक की बंदूक का इस्तेमाल करके घोसालकर की हत्या की।
कई मामलों का सामना करने वाले नोरोन्हा को पहले बलात्कार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और लगभग पांच महीने उसने सलाखों के पीछे बिताए थे। उसकी पत्नी ने पुलिस को बताया कि राजनीतिक आकांक्षाएं रखने वाले नोरोन्हा और घोसालकर (40) के बीच झगड़ा था और नोरोन्हा को संदेह था कि घोसालकर ने उसे बलात्कार के मामले में फंसाया है। (एजेंसी)