Loading

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने कहा है कि मराठा (Maratha) के कुनबी (Kunabi) पूर्वजों के रिकॉर्ड (दस्तावेज) का पता लगाने वाला अभियान पूरे राज्य में चलाया जाएगा। हाल में यह अभियान मराठवाड़ा क्षेत्र में चलाया गया था। शिंदे ने शुक्रवार को मुंबई में एक बैठक के दौरान सभी मंडलीय आयुक्तों और अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस अभियान पर मिशन के तहत काम किया जाना चाहिए। मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे मनोज जरांगे ने नौ दिनों बाद अपनी भूख हड़ताल खत्म की। जरांगे का अनशन तोड़ने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया।

जरांगे (Manoj Jarange Patil) ने दो महीनों के भीतर मराठा आरक्षण पर कोई निर्णय नहीं होने पर मुंबई तक एक विशाल जुलूस निकालने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री शिंदे ने बैठक के बाद कहा, ‘‘कुनबी से जुड़े रिकॉर्ड का पता लगाने के लिए मराठवाड़ा क्षेत्र में जो अभियान चलाया गया था, उसे अब पूरे राज्य में चलाया जाएगा।”

उन्होंने कहा कि न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति पूरे राज्य में इसपर काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य की निगरानी के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी को भी नियुक्त किया गया है। बैठक में प्रदेश भर के मंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने कुनबी रिकॉर्ड का पता लगाने के कार्य का जायजा लेते हुए छत्रपति संभाजीनगर मंडल के मंडलीय आयुक्त को राज्य भर के मंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों की एक कार्यशाला आयोजित करने और शिंदे समिति के कामकाज के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए। उन्होंने जिलाधिकारियों को आवश्यक सूचनाएं एक माह के भीतर युद्धस्तर पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जिससे पिछड़ा वर्ग आयोग को समुदाय से संबंधित आंकड़े एकत्रित करने में सुविधा हो।

मुख्यमंत्री शिंदे ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में एक और बैठक की जिसमें राज्य के मुख्य सचिव मनोज सौनिक, सामान्य प्रशासनिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन करीर, राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजगोपाल देवरा और समाजिक न्याय विभाग के सचिव सुंत भांगे मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुनबी से संबंधित रिकॉर्ड को प्रमाणित एवं उनका डिजिटलीकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि इन रिकॉर्ड को उर्दू और ‘मोदी’ लिपि से अनुवादित किया जाना चाहिए और वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए। पूर्व में मराठी भाषा लिखने के लिए ‘मोदी’ लिपि का प्रयोग किया जाता था। (एजेंसी)