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नागपुर, नवभारत नॉलेज डेस्क: सोमवार, 18सितंबर से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के पत्र के बाद विशेष सत्र का एजेंडा मोदी सरकार की ओर से बता दिया गया है। फिर भी विपक्ष और राजनीतिक पंडितों के बीच कयास लगाने का सिलसिला नहीं रुक रहा है। केंद्र में मोदी सरकार द्वारा आहूत संसद के दूसरे विशेष सत्र से पहले भी आधा दर्जन बार ऐसा हो चुका है। वह भी तब जब भारतीय संविधान में संसद के विशेष सत्र जैसा कोई शब्द नहीं है। 

विशेष सत्र और संवैधानिक व्यवस्था संविधान सरकार को संसद सत्र आहूत करने का अधिकार देता है। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति संसद सत्र आहूत करने का निर्णय लेती है। फिर राष्ट्रपति के नाम पर सभी सांसदों को संसद सत्र के लिए बुलाया जाता है। यह जानना महत्वपूर्ण रहेगा कि संविधान में संसद के विशेष सत्र जैसे किसी शब्द का उल्लेख नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार संसद के विशेष सत्र को भी अनुच्छेद 85 (1) के तहत आहूत करती है। इसी अनुच्छेद के तहत संसद के तीनों सत्र बुलाए जाते हैं। 

विशेष सत्र पर अटकलों का बाजार गर्म

  • ‘भारत’ के देश के आधिकारिक नाम की घोषणा संभव
  • काफी समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जा सकता
  • पिछड़ी जातियों के आरक्षण पर रोहिणी आयोग रिपोर्ट पर फैसला संभव
  • जम्मू और कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो सकता है जी20 सम्मेलन की सफलता पर पीएम मोदी को धन्यवाद ज्ञापन प्रस्ताव

संसद का कोई निश्चित कैलेंडर नहीं

1955 में लोकसभा की एक समिति ने प्रस्ताव रखा था कि संसद का बजट सत्र 1 फरवरी से 7 मई, मानसून सत्र 15 जुलाई से 15 सितंबर और शीतकालीन सत्र 5 नवंबर या दिवाली के चौथे दिन (जो भी बाद में आए ) से 22 दिसंबर तक आहूत किया जाए।  हालांकि इसे कभी अमल में नहीं लाया गया। संविधान के मुताबिक संसद के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। 

अब तक 7 बार बुलाया गया संसद का विशेष सत्र

3 बार राष्ट्रीय महत्व की घटनाओं का जश्न मनाने, 2 बार राष्ट्रपति शासन लगाने या बढ़ाने, एक बार विश्वास मत के लिए तो मोदी के कार्यकाल में पहली बार जीएसटी लागू करने के लिए बुलाया गया। 

1977 : फरवरी में राज्यसभा का 2 दिवसीय विशेष सत्र बुलाकर तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन बढ़ाया गया। 

1991: जून में 2 दिवसीय विशेष सत्र आहूत कर हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू करने की संस्तुति की गई। 

9 अगस्त 1992 : अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं जयंती मनाने के लिए संसद का मिडनाइट सेशन बुलाया गया।

26 अगस्त से 1 सितंबर : भारत की आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत किया गया।

2008: भारत-अमेरिकी परमाणु संधि पर वाम दलों के केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत हासिल करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।

26 नवंबर 2015: डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया।

30 जून 2017: मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अप्रत्यक्ष कर गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू करने के लिए बुलाया गया।

आपातकाल से जुड़े अनुच्छेद में है संसद की विशेष बैठक का जिक्र

संविधान की इसे अजीब व्यवस्था कह सकते हैं। पूरे संविधान में संसद के विशेष सत्र सरीखे शब्द का कोई जिक्र नहीं है, वहीं अनुच्छेद 352 में इसकी व्यवस्था है। यानी अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लगाए जाने के संदर्भ में संसद संविधान की इसे अजब व्यवस्था कह की विशेष बैठक आहूत की जा सकती है।