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    गड़चिरोली. पिछले तीन माह से रापनि का सरकार में विलगीकरण करने की प्रमुख मांग को लेकर रापनि कर्मचारी हड़ताल कर रहे है. हड़ताल के कारण संपूर्ण राज्य में रापनि की बससेवाएं पुरी तरह प्रभावित हो गयी थी. जिसके कारण यात्रियों को निजि वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा था.

    ऐसे में कुछ दिन पहले हड़ताल करनेवाले कुछ कर्मचारी सेवा में दाखिल होने के कारण गड़चिरोली विभागीय नियंत्रण कार्यालय अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली, ब्रम्हपुरी और अहेरी डिपो से करीब 9 बसेस चलाई जा रही है. लेकिन बसों का परिचलन काफी कम होने के कारण रापनि के लिये यह बसे चलाना घाटे का सौंदा साबित हो रहा है. वर्तमान में केवल डिजल का खर्चा निकालने के लिये बसेस चलाई जाने की बात कही जा रही है.

    3 डिपों की प्रतिदिन की आय 50 हजार 

    गड़चिरोली विभागीय नियंत्रण कार्यालय अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली, ब्रम्हपुरी और अहेरी डिपो से वर्तमान स्थिति में 9 बसेस चलाई जा रही है.जिनमें ब्रम्हपुरी डिपो 2, अहेरी डिपो 2 और गड़चिरोली डिपो की 6 बसेस का समावेश है. कोरोना कालावधि से पहले प्रति डिपो प्रति दिन 10 लाख रूपयों की आय होती थी. वहीं कोरोना कालावधि में भी प्रति दिन 6 से 7 लाख रूपयों का राजस्व मिल रहा था. लेकिन कर्मचारियों के हड़ताल के चलते अब प्रतिदिन डिपों को केवल 50 हजार रूपयों की आय हो रही है. जिससे रापनि पर घाटे में बसेस चलाने की नौबत आन पड़ी है. 

    हड़ताल पर डटे है कर्मी

    रापनि कर्मचारियों को सरकार में विलगीकरण करने की प्रमुख मांग को लेकर संपूर्ण राज्य में 28 अक्टूबर से रापनि कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू किया है. कर्मचारियों के इस हड़ताल को अब 3 माह से अधिक का समय बीत किया है. इस कालावधि में हड़ताल करनेवाले रापनि कर्मचारियों के खिलाफ सेवा समाप्ती और निलंबित करने की कार्रवाई भी की गई. लेकिन कर्मचारी अपनी प्रमुख मांग को लेकर हड़ताल पर डटे रहे. वहीं वर्तमान स्थिति में कुछ कर्मचारी सेवा में दाखिल हो गये है. लेकिन सैकडों की तादाद में कर्मचारी अब भी हड़ताल में डटे है.

    यात्रि वर्ग हुए त्रस्त 

    हाल ही में गड़चिरोली विभागीय नियंत्रण कार्यालय अंतर्गत तीन डिपों द्वारा करीब 9 बसेस सड़कों पर चलाई जा रही है. लेकिन बसों की संख्या काफी कम होने के कारण यात्रियों को अब भी निजि वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है. वहीं दुसरी ओर निजि वाहनधारकों द्वारा क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाने और अधिक पैसे वसूलने के कारण यात्रि पुरी तरह त्रस्त हो गये है. बसेस समय पर नहीं आने के कारण यात्रियों को अब भी निजि वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है.