- तीन दिवसीय माडिय़ा सांस्कृतिक महोत्सव का समापन
गड़चिरोली. दुर्गम क्षेत्र के आदिवासी समूह में नैसर्गिक रूप से एक अलग तरीके का कौशल्य होता है. इसके माध्यम से विकसित हुए उनके कलागुणों को इस सांस्कृतिक महोत्सव के माध्यम से मंच उपलब्ध करा दिया गया है. ऐसा प्रतिपादन राज्य के नगर विकास मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने महोत्सव के समापन कार्यक्रम में किया.
यहां का रैला नृत्य, संस्कृति का दर्शन तथा स्थानीय भाषा बाहर के पर्यटकोंं को भामरागड़ देखने के लिये आकर्षित करते है. भामरागड़ समेत जिले के अन्य परिसर में बारह माह बहनेवाली नदिया है. यहां पर विभिन्न प्रकारकी औषधी, वनस्पती,वनोपज मिलते है. निसर्ग संपन्न वाले इस जिले में विकासात्मक कार्य तेजी से हो रहे है. ऐसी बात उन्होंने कही.
समारोपिय कार्यक्रम में आदिवासी विकास कार्यालय नागपुर के अपर आयुक्त रवींद्र ठाकरे, जिलाधिश संजय मीणा, जिला पुलिस अधिक्षक अंकित गोयल, सहायक जिलाधिश तथा प्रकल्प अधिकारी शुभम गुप्ता, अपर पुलिस अधिाक्षक सोमय मुंड़े, भामरागड़ की नगराध्यक्ष रामबाई महाका, उपाध्यक्ष विष्णु मड़ावी आदि उपस्थित थे. इस समय उपस्थित मान्यवरों के हाथों माडिय़ा संस्कृति महोत्सव के विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को धनादेश व प्रमाणपत्र का वितरण किया गया.
इस तरह का महोत्सव राज्य के अन्य जिलों में चलाना जरूरी
अपर आयुक्त रवींद्र ठाकरे ने कहां कि, इस तरह का महोत्सव राज्य के अन्य जिलों में चलाने के लिये विचार किया जाएगा. इसके लिये आदिवासी विकास विभाग द्वारा आवश्यक मदद मिलेगी. मानवी मूल्य व संस्कृति के दृष्टि से यह समूह, यह परिसर यह तहसील काफी अमीर है. लेकिन विकास की दृष्टि से पिछड़ा है. उन्होंने विकास की धारा में जोडऩे के लिये प्रशासन तेजी से कार्य कर रहा है. ऐसी बात उन्होंने कही.
प्रत्येक आदिवासी गांवोंं में पहुंच रही योजना
अपने मार्गदर्शन में जिलाधिश संजय मीणा ने कहां कि, भामरागड़ की पहचान नक्सल पिडि़त तहसील, बाढ़ पिडि़त तहसील व सर्वाधिक दुर्गम तहसील के रूप में बताई जाती है. ऐसे तहसील में माडिया सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित कर उनके कलागुणों को बढ़ावा देने का काम प्रशासन द्वारा किया जा रहा है. यह केवल शुरूआत है, आगामी कालावधि में इस तरह का भव्य कार्यक्रम आयोजित करने का नियोजन करने की बात उन्होंने कही. यह तहसील दुर्गम होने के बाद भी प्रशासन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रत्येक आदिवासी गांवों तक पहुंच रहा है. ऐसी बात उन्होंने कही.
महोत्सव में विभिन्न स्पर्धाओं का आयोजन
राज्य क आखरी छोर पर बसे गड़चिरोली जिले के भामरागड़ इस अतिदुर्गम क्षेत्र में माडिया महोत्सव का आयोजन किया गया था. इस समय आदिवासी बांधवों के कलागुणों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न स्पर्धा व क्रिड़ा स्पर्धा का आयोजन किया गया. जिसमें नृत्य, वेशभुषा तथा खाद्य संस्कृति और गुलेल, तिरंदाजी क्रिड़ा स्पर्धा आदि का समावेश है. आदिवासी समाज उनकी भाषा, परपंरा व कला के माध्यम से एकजुट है. जिससे इस समूह व संस्कृति का दर्शन विश्व में हो, इस उद़देश्य से इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी विकास प्रकल्प कर्यालय ने किया.