अब फिल्म में दिखेगी कुर्ता गांव की व्यथा; गोंड़ी, मराठी और हिंदी भाषा में बनेगी की फिल्म

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    पेरमिली. महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर बहनेवाली इंद्रावती नदी तट पर बसा और अहेरी तहसील का सबसे पिछड़ा, आदिवासी बहुल, अतिदुर्गम क्षेत्र कुर्ता इस गांव में आजादी के 7 दशक बाद भी विकास की किरण नहीं पहुंच पायी है. विशेषत: इस गांव आदिवासी लोग बाहरी दूनिया से अनजान है. वहीं सरकार भी इस गांव में सेवा-सुविधा पहुंचाने में पुरी तरह विफल होने से पिछले अनेक वर्षो से कुर्ता गांव के लोग नरकीय यातनाएं भुगत रहे है.

    ऐसे में इस गांव की व्यथा समाज के सामने रखने के लिये कुर्ता गांव की स्थिति में फिल्म बनने जा रही है. विशेषत: यह फिल्म गोंड़ी, मराठी और हिंदी इन तीन भाषाओं में होकर फिल्म का मराठी नाम कुर्ता एक भयाण झपाटलेलं गांव है. और इस फिल्म के डायरेक्टर साई चंदनखेड़े है. इस फिल्म के जरिये कुर्ता गांव के लोगों की दास्ता समाज के सामने रखी जाएगी.

    बाहरी दुनिया से अनजान है ग्रामीण

    अहेरी तहसील के दामरंचा ग्राम पंचायत अंतर्गत रूमलकसा, वेलगुर, कोयागुड़म, भंगारामपेठा, तोंड़ेर, चिटवेली, चिंरवेली इन गांवों का समावेश होकर सभी गांव इंद्रावती नदी तट पर बसे है. इसी नदी के बीचोबीच कुर्ता गांव है. वर्तमान स्थिति में इस गांव में 5 से 6 परिवार होकर पिछले अनेक वर्षो से नदी तट पर खेती कर अपना जीवनयापन कर रहे है. विशेषत: कुर्ता गांव के लोगों ने बाहरी दुनिया नहीं देखी है. केवल बेहद जरूरी काम के लिये पड़ोसी गांव अथवा तहसील मुख्यालय में पहुंचते है. जिससे इस गांव के लोग बाहरी दूनिया से अनजान है.

    बारह माह करते है जलप्रवास

    कुर्ता गांव नदी तट पर बसा होने के साथ ही गांव तक पहुंचने के लिये अबतक सड़क नहीं पहुंची है. सरकार और प्रशासन द्वारा भी इस गांव के नागरिकों के लिये किसी भी तरह की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गयी है. जिसके कारण कुर्ता गांव के लोग बारह माह नाव की सहायता से जलप्रवास करते है. विशेषत: बारिश के दिनों में इस गांव के लोगों को अपनी जान मु_ी में लेकर सफर करना पड़ता है. पिछले अनेक वर्षो से ग्रामीणों द्वारा बोट की मांग की जा रही है.

    फिल्म दिखाया जाएगा कुर्ता गांव 

    फिल्म डायरेक्टर साई चंदनखेडे ने कुर्ता गांव की समस्या और लोगों की व्यथा समाज के सामने रखने के लिये कुर्ता गांव पर फिल्म बनाने जा रहे है.  विशेषत: इस फिल्म गोंड़ी, मराठी और हिंदी तीन भाषाओं में होकर संपूर्ण फिल्म में कुर्ता गांव को दर्शाया जाएगा. वहां के लोगों का जीवनयापन करने का तरिका समेत अन्य विषयों पर यह फिल्म बनाई जा रही है.