वह गांव दूषित पानी पिने पर मजबूर!  मर्रीगुडम, तिगलगुडम के आदिवासीयों का स्वास्थ्य खतरे में

    Loading

    • स्थानीय प्रशासन कुंभकर्णीय निद्रा में 

    गड़चिरोली. जिले के अंतिम छोर पर बसे सिरोंचा तहसील के विकास को ग्रहण लगा दिखाई दे रहा है. अतिदुर्गम क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के आदिवासीयों को नरकिय यातनाएं भुगतनी पड़ रही है. ऐसा ही मामला सिरोंचा तहसील के मेडाराम ग्रापं अंतर्गत आनेवाले अतिदुर्गम, आदिवासीबहूल मर्रीगुडम व तिगलगुडम गांव में सामने आया है. स्थानीय प्रशासन अब भी कुंभकर्णीय निद्रा में होने से इन दोनों गांवों के आदिवासी दूषित पानी पिने को मजबूत होने की बात सामने आयी है. 

    सिरोंचा पंस अंतर्गत आनेवाले मेडाराम ग्रापं अंतर्गत मर्रीगुडम व तिगलगुडम यह दोनों गांव 100 प्रश आदिवासी बहुल है. इन दोनों गांव मिलकर करीब 50 मकान है, वहीं जनसंख्या 135 के करीब है. सरकार व प्रशासन के नियोजनशुन्यता के कारण उक्त गांवों के ग्रामीण गरीबों में जीवनयापन कर रहे है. एक ओर शायनिंग इंडिया की बाते की जा रही है, वहीं उक्त दोनों गांव सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा आदी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते नजर आ रहे है.

    फलस्वरूप आदिवासी बांधव आज भी वनों पर ही अपना गुजर-बसर कर रहे है. फिलहाल इन दोनों गांवों में पानी की गंभीर समस्या निर्माण हुई हे. दोनों गांव मिलकर कुल 3 हैन्डपंप है. यहां के 1 हैन्डपंप पर दूषित पानी आने के यह पानी पिने के लिए उचित नहीं है. वहीं अन्य 2 हैन्डपंप बंद अवस्था में है. फलस्वरूप मजबूरन दोनों गांवों के आदिवासीयों को समिपी नाले से दूषित पानी पिने की मजबूरी आयी है.

    दूषित पानी के कारण नागरिकों को विभिन्न बिमारियां जड़ने की संभावना व्यक्त हो रही है. स्थानीय ग्रापं प्रशासन प्रति वर्ष जलसंकट तथा हैन्डपंप के देखभाल, मरम्मत पर लाखों रूपयों का निधि खर्च कर रहा है. ऐसे में नागरिकों को दूषित पानी पिना पड़ रहा है. इस ओर वरीष्ठ प्रशासन के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी अनदेखी होने से इन दोनों गांवों के आदिवासीयों को नरकीय यातनाएं भुगतनी पड़ रही है. 

    गांव की प्रमुख समस्याएं 

    तहसील मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर होनेवाले इन दोनों गांवों में प्रमुखता से पानी, बिजली, सड1के, स्वास्थ्य तथा शिक्षा यह बुनियादी समस्याएं है. दोनों गांवों में बिजली की समस्या यह हमेशा चर्चा का विषय बना है. बिजली आपूति खंडीत होने का हमेशा का विषय बना है, एक बार बिजली आपूर्ति खंडीत होने पर एक या दो दिनों तक बिजली आपूर्ति सुचारू नहीं होने से ग्रामीणों को अंधेरे में गुजर बसर करना पड़ता है. उक्त परिसर जंगलों से घिरा होने के कारण बारिश के दिनों में अंधेरे में साप, बिच्छू जैसे विशैले जीवों का खतरा रहता है. इस ओर तहसील प्रशासन के साथ ही बिजली विभाग की भी अनदेखी हो रही है. 

    सड़क -पुलिया के अभाव में जानलेवा सफर 

    सिरोंचा-अहेरी इस मुख्य मार्ग पर से महज 3 से 5 किमी की दूरी पर स्थित मर्रीगुडम व तिगलगुडम इन दोनों गांवों तक पहुचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है. फलस्वरूप नागरिकों को पैदल ही सफर कर तहसील मुख्यालय पर आना पड़ता है. इन दोनों गांवों के बिचोबिच नाला है. किंतू इस नाले पर पुलिया नहीं होने से बरसात के दिनों में ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर तहसील मुख्यालय पर पहुंचना पड़ता है. बिते अनेक वर्षो से की जा रही पुलिया की मांग सरकारी दस्तावेजों में विलुप्त नजर आ रही है. 

    समस्या हल करे, अन्यथा आंदोलन 

    मर्रीगुडम व तिगलगुडम गांव में अनेक समस्याएं है. स्थानीय प्रशासन के अनेदखी के कारण ग्रामीणों को नाले का दूषित पानी पिना पड रहा है. जिससे नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में आने की स्थिती है. इसे स्थानीय ग्रापं प्रशासन, पंचायत समिति तथा तहसील प्रशासन जिम्मेदार है. उक्त दोनों गांवों की बुनियादी समस्या तत्काल दूर करे, अन्यथा तिव्र आंदोलन करेंगे. 

    बानय्या जनगाम

    आविसं, सिरोंचा तहसील अध्यक्ष