जलवायु परिवर्तन के लिए ‘सौर पुरुष’ की देश-विदेश में भ्रमंती

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    •   प्रा. सोलंकी ऊर्जा स्वराज्य यात्रा से कर रहे जनजागृति 
    • 11 वर्ष करेंगे सौर बस में निवास 

    गड़चिरोली: ग्लोबल वार्मिंग विश्व में गंभीर समस्या बन रही है। ग्लोबल वार्मिंग 1।5 डिग्री सेल्सिअस (आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार) तक पहुंचने के पूर्व अपने पास केवल 8-10 वर्ष बाकी है। जिससे जलवायु परिवर्तन कम करने के लिए तत्काल कृति की आवश्यकता ध्यान में लेते हुए सौर ऊर्जा यह सार्वजनिक मुहिम बने इसके लिए आईआईटी बॉम्बे के प्रा। चेतन सिंह सोलंकी ने सौर बस द्वार 11 वर्ष की ऊर्जा स्वराज यात्रा शुरू की है। इस दौरान उक्त यात्रा आज गड़चिरोली में दाखिल हुई है। इस सफर में प्रा। सोलंकी यह करीब 11 वर्ष घर न जाते हुए बस में रहकर यह यात्रा करने का संकल्प किया है। 

    प्रा. चेतन सिंह सोलंकी हे शिक्षक, शास्त्रज्ञ व अनुसंधानिक है। उन्होने 11 वर्ष की (2030 तक) सौर ऊर्जा बस द्वारा ऊर्जा स्वराज यात्रा शुरू की है। गंभीर तथा आपत्तीजनक मौसम बदलांव के मद्देनजर यह ऊर्जा स्वराज यात्रा 100 प्रश सौर उर्जा का स्विकार करने की दिशा व एक व्यापक जनमुहिम निर्माण करने के उद्देश से तैयार की गई है।

    गांधीवादी आदर्शो के तहत उन्होने इस जनआंदोलन को ‘ऊर्जा स्वराज’ ऐसा नाम दिया। उनकी ऊर्जा स्वराज मुहिम यह ऊर्जा उपयोग, ऊर्जा की शाश्वती तथा जलवायु परिवर्तन कम करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विश्वस्तर पर ऊर्जा स्वराज स्थापन करने के लिए उन्होने एनर्जी स्वराज फाउंडेशन (इएसएफ) की स्थापना भी की है। उनके इस यात्रा के दौरान वे सौर ऊर्जा बस में ही सभी कार्य करनेवाले है। निवास, स्नान व भोजन करना तथा प्रशिक्षण के लिए सुविधाएं उपलब्ध है। यह बस यानी उनका मोबाईल घर ही बनने की बात सोलंकी कहते है। 

    2 लाख किमी का सफर करेंगे तय

    वर्श 2019 के दौरान प्रोफेसर सोलंकी ने सौरऊर्जा का संदेश देने के लिए विश्वभर के 30 देशों में सफर किया। उनके शुरू होनेवाले उर्जा स्वराज यात्रा में उन्होने इससे पूर्व 15 हजार किमी का सफर किया है। 6 राज्यों में 35 हजार से अधिक लोगों को उन्होने कव्हर किया है। इस 11 वर्ष के सफर में प्रोफेसर सोलंकी 28 राज्यों में करीब 2 लाख किमी की दूरी तय करने इस दौरान 8-10 बार देश की सीमा पार करनेवाले है। 

    ‘सोलर गांधी’ ऐसी पहचान 

    बतां दे कि, सोलंकी को मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश के सौरऊर्जा के ब्रँड ॲम्बेसेडर के रूप में सन्मानित किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू तथा इंडिया टुडे ने प्रोफेसर सोलंकी को ‘भारत का सौर पुरुष’ यह नाम दिया है। तो कुछ लोग उन्हे ‘सोलर गांधी’ इस नाम से भी संबोधित करते है। 

    अनेक पुरस्कार से सन्मानित 

    प्रोफेसर सोलंकी ने आईआईटी बॉम्बे से बडे सौर प्रकल्पों का नेतृत्व किया है। उनके एसओयुएलएस प्रकल्प द्वारा उन्होने 7।5 दशलक्ष मकानों के लिए सौरऊर्जा का उपयोग कर सोलर लैप डिझाइन किया है। उन्हे अबतक अनेक पुरस्कारों से सन्मानित किया गया है। इन पुरस्कारों में ‘आईईईई’ का वैश्विक पुरस्कार, एसओयुएलएस प्रकल्प के लिए पंतप्रधान का इनोव्हेशन अवॉर्ड, ओएनजीसी द्वारा सोलर चुल्हा डिझाईन चैलेंज का प्रथम पुरस्कार, 3 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, 2 यंग सायंटिस्ट पुरस्कार, सीएससीआर विज्ञान तथा तकनिकीज्ञान पुरस्कार, आरई स्किलिंग में उत्कृष्टता तथा ‘आटस्टैंडिंग ग्रीन एक्टिविस्ट’ आदि का समावेश है। 

    सौर ऊर्जा को दे प्राथमिकता – प्रा. सोलंकी

    जिले में दाखिल हुए प्रा. सोलंकी ने आज गोंडवाना विवि में पत्रकारों से संवाद करते हुए अपने यात्रा का उद्देश स्पष्ट किया। इस समय उन्होने कहां कि, जलवायु परिवर्तन कम करने के लिए अब तत्काल कृति करने की आवश्यकता है। ऊर्जा का स्वराज स्विकारना या स्थानीय स्तर पर उर्जा की निर्मित कर उपयोग करना यहीं उपाय है। सौर उर्जा यह जीवन की प्राथमिकता बने, देश सौर ऊर्जा पर आत्मनिर्भर हो इसके लिए प्रयास करने की बात उन्होने कहीं। पत्रपरिषद में कुलगुरु डा. प्रशांत बोकारे, प्र. कुलगुरु डा. श्रीराम कावले, डा. मनिष उत्तरवार उपस्थित थे।