नुकसानग्रस्त किसानों की अब मदद पर टिकी निगाहें; कब होंगे पंचनामे, कब दी जाएगी मदद, किसान पुछ रहे सवाल

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    •  बारिश के कहर में हजारों हेक्टेयर खेत पानी में 

    गड़चिरोली. इस वर्ष बारिश ने जिले में कहर ढा दिया. जुलाई माह में हुई अतिवृष्टि के कारण किसानों का व्यापक नुकसान हुआ. इसके बाद फिर से बुआई कर किसानों ने पसीना बहाया. किंतू आगस्त माह में फिर से सर्वत्र बाढ़ की स्थिती निर्माण होने से जिले के किसानों को 2 बार बाढ़ का फटका सहना पडा. फिलहाल बारिश थम गई है, किंतू अब भी हजारेां हक्टेयर खेतों की पफसल पानी के निचे होने के कारण फसलों का व्यापक नुकसान हुआ है. हाल ही में अतिवृष्टीग्रस्त किसानों को प्रति हेक्टेयर 13 हजार 600 रूपये मदद की घोषणा राज्य सरकार ने की. किंतू अबतक जिले में पंचनामों को शुरूआत नहीं होने से नुकसान के पंचनामे कब होंगे? और प्रत्यक्ष मदद कब मिलेगी? ऐसा सवाल जिले के नुकसानग्रस्त किसान पुछ रहे है. 

    विधिमंड़ल का मानसून अधिवेशन समाप्त होते ही अतिवृष्टि ग्रस्त किसानों को घोषित की गई मदद देने को शुरूआत की जाएगी, और सिधे किसानों के खाते में राशी जमा की जाएगी, ऐसा आश्वासन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में चंद्रपुर जिले के दौरान दिया था. इससे पूर्व 2 हेक्टेयर तक मदद की मर्यादा बढाकर 3 हेक्टेयर तक की गई. इसका लाभ जिले के अतिवृष्टि से नुकसान हुए किसानों को मिलनेवाला है.

    बिते सप्ताह में जिले में भारी वर्षा के साथ बांध से छोडे गए पानी के कारण हजारों हेक्टेयर खेती दुसरी बार पानी में गई है. इसमें धान फसलों के साथ कपास, सोयाबीन, तुअर तथा सब्जीवर्गीय फसलों का व्यापक नुकसान होने का प्राथमिक अनुमान जताया जा रहा है. फिलहाल बारिश थम गई है. प्रशासकीय स्तर पर पंचनामों को गति आ रही है, किंतू प्रत्यक्ष मदद के लिए कुछ समय लगनेवाला है. फलस्वरूप 2 माह में 2 बार बाढ़ के कारण नुकसान सहन करनेवाले किसान अ तत्काल वित्तीय मदद मिलेगी, इस आंस में सरकार की ओर निगाहें लगाएं हुए है. 

    दोबार, तिबारा बुआई के बाद भी खेत में बची मट्टी 

    जुलाई माह में हुए अतिवृष्टि के कारण जिले के नदी तट के हजारों हेक्टेसर पर के किसानों के परे, आवत्या समेत अनेक फसलों का नुकसान हुआ था. जिससे अनेक किसानों को दोबारा तो कुछ किसानों को तिबारा यानी तिसरी बार बुआई कर फिर से धान की रोपाई की. किंतू अगस्त माह में फिर से हुए मुसलाधार बारिश के साथ गोसीखुर्द, संजय सरोवर, चिचडोह बैरज, मेडीगट्टा बांध का पानी छोडे जाने से हरी भरी धान फसलों को फिर से बाढ़ ने घेरा. इसमें अनेक किसानों की फसले कहीं सड़ गई, कहीं पूर्णत नष्ट हुई,कुछ किसानों के खेतों में केवल मट्टी ही शेष है. जिससे लाखों का खर्च बर्बाद होने से किसानों के हाथ निराशा ही आयी है. 

    मदद के लिए करना पडेगा इंतजार 

    तहसील राजस्व प्रशासन मार्फत पंचनामा करने के बाद रिपोर्ट जिला प्रशासन की ओर जाएगी. इसके बाद जिला प्रशासनक के मान्यता की प्रतिक्षा करनी पड़ेगी. जिला प्रशासन द्वारा मान्यता देने के बाद नुकसान की रिपोर्ट राज्य सरकार की ओर भेजा जानेवाला है. इसके लिए भी किसानों को प्रतिक्षा करनी पड़ेगी. मान्यता के बाद सरकार के मान्यता के लिए काफी समय बित जाता है. जिससे प्रत्यक्ष मदद मिलने में किसानों को कुछ माह का अवधि लगने की संभावना होती है. जिससे प्रशसकीय यंत्रणा तत्काल कार्यवाही करना आवश्यक है. 

    इन तहसीलों को लगा अधिक फटका 

    जुलाई तथा अगस्त माह के बाढ़ की स्थिती के कारण संपूर्ण जिलें को फटका लगा है. जिससे आम नागरिकों का जनजीवन प्रभावित हुआ है. ऐसे में अनेक मकान क्षतिग्रस्त होने से व्यापक मात्रा में वित्तीय हानी भी हुई. किंतू ऐसे में जिले के भामरागड, सिरोंचा, देसाईगंज इन 3 तहसीलों को बाढ़ का सर्वाधिक फटका लगा है. इन तहसीलों की हजारों किसानों के धान फसलों के साथ अन्य फसलों का नुकसान हुआ है. खेतों की देखकर इस परिसर के नुकसानग्रस्त किसानों की आंखे नम हुई है.