माडिय़ा महोत्सव के आयोजन से उद्देश्य सफल हुआ, विभागीय आयुक्त माधवी खोड़े का प्रतिपादन

    Loading

    • भामरागड़ में माडिय़ा महोत्सव की शुरूआत

    गड़चिरोली. भामरागड़ एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प कार्यालय ने आयोजित किए माडिय़ा महोत्सव यह भामरागड़ व जिले के दुर्गम क्षेत्र से लोगों को अवसर के रूप में आयोजित किया. इसके माध्यम से आदिवासी युवाओं को कला, क्रिड़ा क्षेत्र में अपना कौशल्य दिखाने व माडिय़ा संस्कृति की पहचान चहुओर हो, यह मुख्य उद्देश्य है.

    लोगों की उपस्थिति व स्पर्धाओं का सहभाग देख यह उद्देश्य सफल हुआ है. ऐसा प्रतिपादन कार्यक्रम की उदघाटक तथा नागपुर की विभागीय आयुक्त डा. माधवी खोड़े (चौरे) ने किया. गुरूवार को भामरागड़ माडिय़ा महोत्सव की शुरूआत होकर 28 मई तक विभिन्न स्पर्धाओं के आयोजन से इस कार्यक्रम का समापन किया जाएगा.

    उदघाटन अवसर पर पद्मश्री विजेता फोटोग्राफर  सुधारक ओवले, विधायक धर्मरावबाबा आत्राम, विधायक डा. देवराव होली, जिलाधिश संजय मीणा, सहायक जिलाधिश तथा प्रकल्प अधिकारी शुभम गुप्ता, सहायक जिलाधिश तथा प्रकल्प अधिकारी अंकित, अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक अनुज तारे, उपवनसंरक्षक आशिष पांडे, भामरागड़ प्रकल्पस्तरीय विकास समिति अध्यक्ष नामदेव उसेंड़ी, पूर्व जिप अध्यक्ष भाग्यश्री आत्राम, पंस सदस्य हर्षवर्धन आत्राम, तहसीलदार अनमोल कांबले आदि उपस्थित थे. 

    प्रशासकीय यंत्रणा व लोग एकजुट होकर काम करें तो घर-घर योजना  पहुंचेगी

    अपने मार्गदर्शन में उपविभागीय आयुक्त माधवी खोड़े ने कहां कि, आदिवासी बांधवों के विकास के लिये सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है. इन योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया संदर्भ में उन्होंने जानकारी दी. कला व क्रिड़ा में भेद नहीं होता है, इससे आदिवासी बांधवों को कौशल्य सामने आता है.

    दुर्गम क्षेत्र के युवाओं को आगामी कालावधि में क्रिड़ा क्षेत्र में उतारने के लिये निश्चित ही प्रशासन द्वारा बदल किया जाएगा. वहीं उस तरीके की सेवा-सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाएगी. पहले से अधिक भामरागड़ में सुधार हुआ है. अब सहजता से यहां पर पहुंचा जा सकता है. प्रशासकीय यंत्रणा और लोग एकजुट होकर काम करने पर निश्वित रूप से घर-घर में योजना पहुंचेगी. गावस्तर पर गा्रमसभा में योजनाओं का वाचन होना आवश्यक होने की बात उन्होंने कही.

    वित्तीय उत्पादन बढ़ाने का प्रशासन का प्रयास

    जिलाधिश संजय मीणा ने कहां कि, भामरागड़ व परिसर की प्रथा, परंपरा, संस्कृति सराहनिय है. यहां के लोगों का जीवनयापन करने का तरिका हो या फिर भी बातचित करना इससे गैरआदिवासियों को संज्ञान लेने की आवश्यकता है. प्रशासन अनेक परेशानियों का सामना कर और गांव-गांव में जाकर योजना पहुंचाने का सफल काम कर रहा है. इसमें और गति देने की आवश्यकता होकर प्रत्येक घर का वित्तीय उत्पादन बढ़ाने के लिये प्रशासन कार्य जारी रखेगा. ऐसी बात उन्होंने कही.

    अब बदला है भामरागड़ का चित्र

    विधायक धर्मरावबाबा आत्राम ने कहां कि, आदिवासी संस्कृति, आदिवासी भाषा का जतन होना बेहद जरूरी है. दुर्गम क्षेत्र का विकास करने के लिये हमने पहले ही भामरागड़ तहसील को स्वतंत्र किया. पहले ही तुलना में यहां का चित्र बदला है. आनेवाली कालावधि में दुर्गम क्षेत्र के सड़क बनाकर विकासकार्य करने का आश्वासन उन्होंने दिया. इस क्षेत्र का विकास करना ही लक्ष्य होकर आम नागरिक व जनप्रतिनिधि मदभेद भुलाकर काम करने पर निश्वित रूप से भामरागड़ दुर्गम तहसील नहीं रहेगी. ऐसी बात उन्होंने कही.

    माडिय़ा महोत्सव में यह रहे आकर्षण 

    तीन दिवसीय माडिय़ा महोत्सव में लोकनृत्य, रेला, पारंपारिक वेशभुषा, हस्तकला, पारंपारिक खाद्य पदार्थ, कबड्डी, वॉलीबाल, नौकानयन, तिरंदाजी, गुलेल जैसे क्रिड़ा स्पर्धाओं का समावेश किया गया है. इसके अलावा बचत समूह के विभिन्न स्टॉल, सामग्री बिक्री केंद्र, विभिन्न योजनाओं के जानकारी देनेवाले केंद्र लगाए गए है. वनोपजन से तैयार  किए विभिन्न वस्तु व खाद्य पदार्थ  आनेवाले पर्यटक तथा नागरिकों के लिये बिक्री के माध्यम से उपलब्ध करा दिये गये है.