paddy centers
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    • – किसानों को लगी प्रतिक्षा, 
    • – जिलाधिकारी द्वारा अबतक एक भी केंद्र को नहीं मिली मंजूरी 
    • – निजी व्यापारियों को धान बेचने की मजबूरी 

    गड़चिरोली. बिते एक पखवाड़े से जिले में हल्के व मध्यम प्रजाती के धान की कटाई तथा कुटाई कार्य को प्रारंभ हुआ है. किसानों के हाथ में उत्पादन आया है. किंतू जिले के कुल 85 धान खरीदी केंद्र में से एक भी धान खरीदी केंद्र को जिलाधिकारी द्वारा मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है. जिससे किसानों को धान खरीदी केंद्र शुरू होने की प्रतिक्षा है.

    जिस कारण धान खरीदी केंद्र कब शुरू होंगे, ऐसा सवाल किसानों द्वारा पुछा जा रहा है. खरीदी केंद्र के अभाव में निधि व्यापारियों को धान बेजने की मजबूरी किसानों पर आयी है. जिससे यथाशिघ्र धान खरीदी केंद्र शुरू करने की मांग हो रही है. 

    जिले में बडी संख्या में धान उत्पादक किसान है. इस समुचे किसानों का सालभर का ‘बजट’ धान उत्पादन पर ही निर्भर रहता है. जिले के किसान आदिवासी विकास महामंड़ल के समर्थन मुल्य धान खरीदी केंद्र पर अपनी उपज बेचते आए है. सरकार द्वारा मिलनेवाला समर्थनमुल्य तथा बोनस के कारण अनेक किसानों का समर्थनमुल्य धान खरीदी केंद्र पर धान बिक्री का प्रमाण बढ़ता है. जिले में आदिवासी विकास महामंड़ल अंतर्गत कुल 85 धान खरी केंद्र है.

    जिसमें से गड़चिरोली प्रादेशिक कार्यालय अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली तहसील में 3, कोरची 11, कुरखेडा 14, आरमोरी 3, देसाईगंज 1, धानोरा 11 व चामोर्शी तहसील में 10 ऐसे कुल 53 खरेदी केंद्र के तो अहेरी उपविभाग के 30 ऐसे कुल 83 धान खरीदी केंद्र के मंजूरी के प्रस्ताव जिलाधिकारी की ओर भेजे गए थे. मात्र अबतक जिले के एक भी केंद्र को जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है. 

    दीपावली के मद्देनजर निजी व्यापारियों बेच रहे उपज 

    अनेक किसानों के धान फसलों की कुटाई होकर उपज घर में आयी है. किंतू खरीदी केंद्र को मंजूरी नहीं मिलने से धान खरीदी केंद्र कब शुरू होंगे, ऐसा सवाल किसानों द्वारा उपस्थित किया जा रहा है. सर्वत्र दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है. दीपावली का पर्व मनाने के लिए किसानों को पैसों की आवश्यकता है.

    जिस कारण दीपावली का पर्व मनाने के लिए किसान अपनी उपज कम दाम में निजी व्यापारियों को बेचने पर मजबूर हुए है. जिले से सटे कुछ जिलों में धान खरीदी केंद्रो को मंजूरी मिलकर खरीदी केंद्र शुरू हुई है. जिसेस जिले में भी धान खरीदी केंद्र शुरू करने की मांग हो रही है. 

    धान खरेदी केंद्र पर व्यापारियों का कब्जा 

    जिले के अनेक धान खरीदी केंद्र देरी से शुरू होने के प्रकार अक्सर होते है. खरीदी केंद्र देरी से शुरू होने के कारण मजबूरन किसान पैसों के आवश्यकता में कम दाम में निजी व्यापारियों को उपज बेचते है. वहीं यहीं किसान कुछ कमिशन के लालच में अपना सातबारा धान बिक्री के लिए व्यापारियों को देते है. इसमें बडी मात्रा में कुछ धान खरीदी केंद्र के संचालक व व्यापारियों में मिलीभगत होने की बात कहीं जा रही है. किसानों के हित के लिए होनेवाले धान खरीदी केंद्रो पर व्यापारियों का कब्जा होने की बात कहीं जा रही है. 

    बाहरी राज्यों का धान की जिले में तस्करी 

    जिले के सीमा पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगड़, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना राज्य की सीमा सटी है. इन राज्य के तुलना में महाराष्ट्र सरकार धान को समर्थन मुल्य व बोनस अधिक देती है. जिससे जिले के भौगोलिक स्थिती का लाभ उठाकर प्रति वर्ष लाखों टन धान की बाहरी राज्य से जिले में तस्करी की जाती है. उक्त धान अल्प किंमत में व्यापारियों को प्राप्त होता है.

    फलस्वरूप दुसरे राज्य से सटे धान खरीदी केंद्र धान तस्करी के केंद्र बने है. हाल ही में जिले के दौरे पर आए राज्य के अन्न, नागरी आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भूजबल ने जिले के किसानों का धान शतप्रतिशत खरीदी केंद्र पर पहुचाने के लिए बाहरी राज्यों के धान तस्करों पर कडी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. जिससे इस वर्ष उनके निर्देशों पर कितना अमल होता है, यह आनेवाले समय में ही पतां चलनेवाला है. 

    जल्द शुरू होगे धान खरीदी केंद्र -कोटलावार

    जिले के 83 धान खरीदी केंद्र के मंजूरी के प्रस्ताव जिलाधिकारी कार्यालय की ओर भेजे गए है. अबतक कार्यालय की ओर से मजूरी प्रदान नहीं की गई है. किंतू जल्द ही मंजूरी प्राप्त होनेवाली है. इसके पश्चात जिलेभर के धान खरीदी केंद्र पर धान खरीदी को शुरूआत होगी, ऐसी जानकारी आदिवासी विकास महामंड़ल के प्रबंधक गजानन कोटलावार ने दी है.