Bad weather disease on vegetables and Rabi crops
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गोंदिया. किसानों को बीते कुछ वर्षों से एक के बाद एक संकट का सामना करना पड़ रहा है. मौसम का मिजाज बदलने से फसलों का नुकसान हो रहा है. कुछ ही दिन पूर्व खरीफ की फसलों की कटाई व मलनी के समय बेमौसम बारिश के दस्तक देने से फसलों का भारी नुकसान हुआ है. इसके पहले अतिवृष्टि से किसानों को काफी नुकसान हुआ था. इस वर्ष किसानों ने अपने खेतों में सब्जी भाजी की फसल लगाई जो लहलहा रही है. किसानों को इन फसलों से काफी उम्मीदें हैं.

मौसम में बदलाव का असर

वर्षभर खेत में मेहनत करने के बाद किसान फसल उत्पादन लेता है. फसल की बिक्री के बाद अपने वर्षभर का नियोजन करता है. परिवार की आजीविका व कर्ज का भुगतान करता है, किंतु पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक व सुलतानी संकटों से किसान पूर्णतः टूट चुका है. इस बार अतिवृष्टि से खरीफ की फसल को काफी नुकसान हुआ था. सब्जी-भाजी व अन्य फसलों का भी नुकसान हुआ. अब इस वर्ष सब्जी भाजी की फसल से किसान को उम्मीद है.

मौसम बदलने से खेती व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हो गया है. तापमान में उतार चढ़ाव से रबी फसलों के साथ ही मौसमी हरी सब्जियां, टमाटर, मिर्ची, बैगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, चौलाइ व गवार, फल्ली, ककड़ी व अन्य सब्जीभाजी की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. वहीं फसलों पर कीटों का प्रकोप बढ़ने लगा हैं. रासायनिक दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है. कभी तेज ठंड होती है तो वहीं अचानक बदरीला मौसम हो जाने से फसलें प्रभावित हो रही हैं.

विभिन्न बीमारियों का बढ़ा प्रकोप

फसलों पर तरह-तरह की बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. इससे किसानों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं. किसान संकट में घिर गया है. पहले की तुलना में बीज, खाद व कीटकनाशक की कीमतें बढ़ गई हैं. इन सबके बाद किसानों के नसीब में निराशा ही आती है. इससे जिले का किसान पूरी तरह से निराश हो गया है. प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार बड़ी-बड़ी घोषणा करती है. किसानों को नियम व शर्तों के आधार पर अल्प राहत प्रदान करते हैं. इससे उनका लागत खर्च भी नहीं निकलता. किसान इसमें से कर्ज चुकाएं, परिवार का पालन पोषण करेगा या फिर आगामी मौसम की तैयारियां करेगा, यह प्रश्न उसके सामने निर्माण हो जाते हैं.