इस साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है- “हमारी आवाज़ और हमारा समान भविष्य”। है। 

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    गोंदिया. जिले में पिछले पांच वर्षों से लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की जन्मदर में कमी आ रही है. छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश का सीमावर्ती जिला होने की वजह से जिले की गर्भवतियों को पड़ोसी राज्यों में ले जाकर गर्भपात कराया जा रहा है. यही वजह है कि जिले में प्रति एक हजार लड़कों के पीछे 76 लड़कियां कम हैं.

    सरकार महिला-पुरुष लिंगानुपात की समानता के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चला रही है. लेकिन सरकार का यह अभियान बेटियों के प्रति अभी भी लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाने में कामयाब नहीं हो पाया है. लोगों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है.

    जिले में वर्ष 2017 में एक हजार लड़कों के अनुपात में 933 लड़कियों ने जन्म लिया था. वर्ष 2018 में 923, 2019 में 982 तथा 2020 में 955 बेटियों ने एक हजार लड़कों के अनुपात में जन्म लिया. वर्ष 2021 में प्रति एक हजार लड़कों के पीछे 926 लड़कियों ने अब तक जन्म लिया है. बेटियों की घटती जन्म दर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. बेटियों के जन्म का स्वागत करने की बात कहने वाले प्रशासन की नाक के नीचे कन्या भ्रूणहत्या की जा रही है.

    स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले तीन-चार वर्ष में एक भी कार्रवाई नहीं की गई है. गर्भ में पल रहा नवजात लड़का है या लड़की, इसकी जांच कानूनन अपराध है. कन्या भ्रूणहत्या को रोकने सरकार द्वारा लिंग परीक्षण पर बंदी के लिए कानून बनाया है. लिंग परीक्षण कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ जुर्माने एवं सजा का भी प्रावधान किया गया है.

    डॉ. सायास केंद्रे, महिला रोग विशेषज्ञ के अनुसार आवश्यकता नहीं होने पर गर्भपात नहीं कराया जा सकता. गर्भ में कुछ समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार, पंजीकृत गर्भपात केंद्र में गर्भपात कराया जा सकता है. मॉडर्न जमाने में लडके लड़की के भेद को खत्म कर लड़की के जन्म का स्वागत करने की आवश्यकता है.