गोंदिया. जिले में धान की फसल पर कीटों का प्रकोप होने के कारण किसानों की चिंता दिन-ब-दिन बढ़ रही है. समय-समय पर किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ रहा है. फसलों पर खोड़कीड़ा, मावा, तुड़तुड़ा साथ ही पत्तियों पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ने के कारण कौनसी दवा का छिड़काव करें, ऐसा सवाल किसानों के सामने उत्पन्न हो रहा है.
जरूरत के समय बारिश का अभाव और बाद में अतिवृष्टि के कारण धान फसलों पर बीमारियों का प्रकोप नजर आ रहा है. फिलहाल हल्की प्रजाति के धान की फसल की कटाई की जा रही है. साथ ही भारी प्रजाति के फसल की कटाई को और कुछ दिन की अवधि होने के कारण धान की फसल पर कीटों का आक्रमण बढ़ता जा रहा है. बीमारियों पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव जरूरी है. कीटों के आक्रमण के बाद धान की उत्पादकता पर असर पड़ेगा.
जिले में बड़े पैमाने पर धान की फसल उगाई जाती है. किसान धान की फसल के माध्यम से होने वाले उत्पादन पर अपना जीवनयापन करता है. ऐसे में समय रहते कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानों को आर्थिक हानि होगी. जिससे कीट पर नियंत्रण पाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को उचित मार्गदर्शन किया जा रहा है.
विभिन्न बीमारियों के लक्षण
धान फसल पर फफुंद जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. धान की पत्तियों पर अलग-अलग रंग के दाग दिखाई दे रहे हैं. खोडकीट धान की फसल पर पाए जाने वाली प्रमुख कीट है. जिसमें कीट मादी धान की ऊपरी छोर पर अंडे देती है और पनपने वाली इल्ली हरे पत्तों पर गुजारा करती है. इस कारण धान का पौधा सूखने लगता है. साथ ही अनाज का दाना भरने से पहले ही पत्तियां झड़ने लगती है. जिसका उत्पादकता पर भारी परिणाम होता है.