सालेकसा. इस बार खरीफ मौसम को लेकर किसानों को काफी उम्मीद है. जिले भर में बारिश हो रही है. एक बार फिर मानसून के सक्रिय होने से किसान हर्षित हैं. मौसम का साथ मिलने से जिले में धान की रोपाई लक्ष्य प्राप्त की ओर बढ रही है. बारिश के बाद खेत में धान को टिलर आने लगे है.
उधर कई तरह की बीमारियां भी आ गई है. मौसम परिवर्तन से फसलों पर मौसमी बीमारियां व इल्लियों का प्रकोप भी देखा जा रहा है. इससे फसलों को बचाने के लिए किसान बाजार में उपलब्ध विभिन्न कंपनियों के कीटनाशक छिडकाव के लिए खरीदी कर रहे हैं लेकिन इसमें कुछ कृषि केंद्र संचालक किसानों की आंखों में धूल झोंकते नजर आ रहे है. जिस कीटनाशक पर अधिक मुनाफा हैं वह कीटनाशक किसानों को थमाई जा रही है.
इसमें कीटनाशक की जरा सी भी मात्रा कम – अधिक होने पर फसलों का नुकसान हो रहा है. पहले ही जिले के किसान प्राकृतिक आपदा और कोरोना के चलते आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. इस बीच बोगस बीजों के भी अनेक मामले सामने आए. विभिन्न कंपनी की कीटनाशक की कीमतें अलग अलग होती हैं, जिस कंपनी से अधिक कमीशन मिलता है उस कीटनाशक को बेचने के लिए कृषि केंद्र किसानों को मनाते नजर आ रहे हैं.
किसान भी उन पर भरोसा रखकर खरीद लेते हैं, इसमें उसका तो लाभ मिल जाता है लेकिन किसानों की मुसीबत बढ जाती है. इस प्रकार के कुछ उदाहरण सामने आ रहे है. समय समय पर किसानों को कृषि विभाग व कृषि विद्यापीठ द्वारा मार्गदर्शन किया जाता है नुकसान से बचने के लिए किसान को विभाग की सिफारिश के अनुसार कीटनाशक व खाद का उपयोग करना चाहिए. इसमें दी गई मात्रा में ही दवा का छिडकाव किया जाना चाहिए.
बारिश के थमने से मौसम में बदल दिखाई दे रहा है, इसका असर फसलों पर मौसमी बीमारियां देखने मिल रही है. फसलों पर इल्ली व बीमारी का प्रकोप देखा जा रहा है. पहले बारिश नहीं होने से किसान परेशान थे अब फसलों पर इल्ली व बीमारी से बचाने की जद्दोजहद में किसान लगे हुए हैं. किसान की इस मजबूरी का लाभ कुछ कृषि केंद्र संचालक उठा रहे हैं.