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    गोंदिया.  शहर में सीवरेज की उचित निकासी सुनिश्चित करने और गंदगी की समस्या को स्थायी रूप से खत्म करने के उद्देश्य से गोंदिया शहर के लिए भूमिगत गटार योजना मंजूर की गई. इस योजना का काम महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण को सौंपा गया. हालांकि निर्माणाधीन योजना इन दिनों शहरवासियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है. इसके अलावा तकनीकी रूप से दोषपूर्ण और घटिया काम के कारण शहर खुद ही नाला बन गया है. दूसरी ओर शहरवासी इस योजना के कार्य पर सवाल उठा रहे हैं. 

    शहर के बढ़ते विस्तार और शहर में सीवरेज निकासी की समस्या को देखते हुए राज्य शासन ने गोंदिया नगर परिषद के लिए भूमिगत गटर योजना को मंजूरी दी. करीब 2 साल तक इस योजना का बजट ठंडे बस्ते में रहा. कभी तत्कालीन पार्षदों के अड़ंगे, तो कभी जनप्रतिनिधियों के विरोध, तो कभी कार्य प्रणाली के इंकार से योजना ठप हो गई. इसी बीच इस योजना की पहल दो साल पहले की गई थी. इस योजना का कार्य नगर परिषद से मजीप्रा को स्थानांतरित किया गया.

    मजीप्रा ने नगर का नक्शा तैयार कर भूमिगत गटर योजना का कार्य प्रारंभ किया. लेकिन निर्माणाधीन सीवरेज योजना आज गोंदिया शहर के लिए सिरदर्द बन गई है. क्या यह योजना समस्या के समाधान की है या समस्या पैदा करने की ? यह सवाल नागरिक कर रहे हैं. कुल मिलाकर निर्माणाधीन इस योजना का कार्य न केवल घटिया स्तर का है, बल्कि इसमें तकनीकी खामी साफ नजर आ रही है. तकनीकी कर्मचारियों ने इस योजना की व्यवस्था कैसे की ? ऐसा प्रश्न उठता है.

    सड़कें ले रही पगडंडी मार्ग का रूप 

    जबकि शहर में बनी सीवरेज लाइन सड़क के बीच में बना दी गई है, लेकिन अब तक इसके ऊपर कोई नई सड़क नहीं बनाई गई है. इसलिए शहर की सड़कें खेतों की सड़कों जैसी हो गई हैं. सड़क के बीच में ऊंचा होने पर किनारे नीचे कर दिए जाते हैं, जिससे चार पहिया वाहन चालकों के लिए अपने वाहनों को ले जाना मुश्किल हो जाता है.

    कई जगह दुर्घटना संभावित स्थान

    कई जगहों पर सीवरेज के काम की गुणवत्ता खराब होने के कारण कुछ इलाकों में नालियां सड़क के बीचों-बीच गिर गई हैं. जिसमें देखा जा रहा है कि ट्रैक्टर, चौपहिया वाहन आदि के पहिए फंस जाते हैं. शहर में कई जगहों पर तस्वीर एक जैसी है और यह दुर्घटना संभावित जगह बन गई है.