Illegal activities , government hospital, truth , right to information
गोंदिया. केटीएस जिला सामान्य अस्पताल अपनी अव्यवस्थाओं के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता आया है पर इसे प्रशासन ने कभी भी गंभीरता से नहीं लिया और जिन अधिकारियों के खिलाफ जनशिकायतें है उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई.
और खुल गई पोल
जिले के सरकारी केटीएस अस्पताल से सूचना के अधिकार के अंतर्गत यह जानकारी मांगी गई थी कि गोंदिया शहर में निजी नर्सिंग होम की संख्या कितनी है ? जिला सूचना अधिकारी ने यह संख्या 51 ही बतलाई जबकि वास्तविक संख्या 57 है.
जांच करने पर यह पता चला है कि 6 निजी नर्सिंग होम ऐसे डाक्टरों के हैं जो कि अस्पताल के रेगुलर डाक्टर हैं तथा वे नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता भी ले रहे हैं व साथ ही साथ अपना नर्सिंग होम भी चला रहे हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि केटीएस अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ तो अपना नर्सिंग होम चला रही है तथा नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता भी उठा रही हैं. सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि उक्त नेत्र रोग अस्पताल का पंजीयन भी नहीं है तथा उसे अवैध रूप से चलाया जा रहा है.
वरिष्ठों की संदेहास्पद भूमिका
सूचना के अधिकार द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण तथ्य परक जानकारी को छिपाना दंडनीय अपराध है और इसकी परवाह न करते हुए जिन छह नर्सिंग होम की जानकारी छिपाई गई है उसके मूल में जिले के जिला शल्य चिकित्सक व जिले की कानूनी सलाहकार की मुख्य भूमिका बताई जा रही है. अवैध रूप से चलने वाले ऐसे नर्सिंग होम में जहां अवैध रूप से गर्भपात के मामलों के प्रति यह वरिष्ठों द्वारा चुप्पी साधे रखना भी रहस्यमय है. इससे यह स्पष्ट होता है कि इन वरिष्ठों का भी अवैध व नियमों के विपरित होने वाली वसूली में निश्चित रुप से हिस्सा रहता है.
उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता
सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन कर्ता को वास्तविक जानकारी न देना व सच्चाई छिपाना अपने लोगों का बचाव करना आदि गंभीर मामलों की उच्च स्तरीय जांच की जानी आवश्यक है यदि जांच के दौरान जिन अधिकारियों की संलिप्तता स्पष्ट रूप से पाई जाती है उन पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि अवैध कारगुजारियां रुक सके तथा उनमें लिप्त अधिकारियों को सबक मिल सके.