holi
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    गोंदिया. कोरोना काल में पिछले दो साल से होली का बाजार ठंडा रहा है लेकिन इस साल कोरोना की बंदिशों के कम होने और त्यौहार के पास आने के कारण होली का बाजार धीरे-धीरे सजने लगा है. इस बार होली के सामान में मंहगाई का असर भी नजर आ रहा है. बाजार में बीते वर्षों के मुकाबले दाम में बढ़ोतरी दिखाई दे रही है. बाजार में हर्बल गुलाल और आर्गेनिक कलर भी खूब बिक रहे हैं. 50 रुपए किलो वाला साधारण गुलाल इस बार 65-70 रु. किलो तक बिक रहा है जबकि हर्बल गुलाल की कीमत 100 रु.  तक पहुंच गई है. पबजी गन और बालों की मांग भी अधिक है. इनकी कीमत भी मांग, उपलब्धता व गुणवत्ता के हिसाब में अलग-अलग है.

    जानकारी के अनुसार कोरोना के मामलों में कमी आने से सभी गतिविधियां सामान्य हो गई हैं. ऐसे में आ रहे तीज-त्योहारों को लेकर भी नागरिकों में उत्साह व्याप्त है. लेकिन इस होली के रंग तथा अन्य सामग्रियों के दाम बढ़ने से नागरिकों में निराशा भी देखी जा रही है. सिलेंडर व तेल के दाम आसमान छू रहे है जिससे मध्यम वर्गीय लोग त्यौहार कैसे मनाए यह भी सोच रहे है. 17 मार्च को रात के समय होलिका दहन किया जाएगा.

    18 मार्च को धूलिवंदन का पर्व धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा. इसके लिए रंग, पिचकारी के बाजार गुलजार हो गए हैं. लेकिन, महंगाई भी उत्साह के पर्व में खलल डालने का कोई अवसर नहीं छोड़ रही. व्यापक असर अलग-अलग रंगों और पिचकारियों पर देखने को मिल रहा है जिनमें करीब 30 प्रश. की वृद्धि नागरिकों के रंग में भंग डालने के प्रयास कर रही है. यह बात और है कि खरीदारी अभी से शुरू हो जाने से बाजार सब कुछ अच्छा होने की उम्मीद में हैं.

    कोरोना मामलों में कमी से बढ़ रहा अपार उत्साह

    होली के पर्व को और रंगीन करने के लिए शहर सहित अन्य क्षेत्रों के व्यापारियों ने इसमें उपयोग होने वाली सामग्री बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई है. इस बार बाजार में तीन किस्म की विशेष स्प्रे पिचकारियां आई है और उनके दाम भी बहुत अधिक है. विक्रेताओं का कहना है कि स्प्रे पिचकारी में एक बार पानी और रंग डाल दिया जाए तो काफी देर तक उसका उपयोग संभव है. कोरोना के प्रकोप के चलते गत दो वर्षो से नागरिक धूलिवंदन पर्व के आनंद से महरूम थे.

    अब चूंकि, महाव्याधि का प्रमाण कम हुआ है, इसलिए जिला प्रशासन ने भी छूट दी है. 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती भी उत्साह से मनाई गई. ठीक उसी तरह से अब धूलिवंदन का पर्व भी जोशपूर्ण माहौल में मनाया जाएगा. कुछ दिनों के बाद संभव होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता भी जमकर धूलिवंदन को भुनाने के लिए तत्पर हैं. इसके चलते बाजार में धूलिवंदन के लिए आकर्षक रंग और पिचकारियां बड़े पैमाने पर आई है.

    20 से लेकर हजारों रुपयों तक की पिचकारियों की धूम

    होली के मद्देनजर बाजारों में 20 रुपए से लेकर 1000 रु. मूल्य तक की पिचकारियां आई हैं. ऊंची कीमतों में मिलने वाली पिचकारियां ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र है और बिक्री भी शुरू है. बताया जाता है कि ऊंचे कीमत में मिलने वाली पिचकारियों से दूर तक रंग उड़ाया जा सकता है. इसके अलावा अनेक किस्म के रंग भी उपलब्ध कराए गए हैं. इसके अलावा पर्यावरण पूरक इको फ्रेंडली रंग भी बाजार में है.

    ग्राहक दुकानों पर पहुंचकर पिचकारियों की ज्यादा मांग कर रहे हैं. रंग-बिरंगी पिचकारियां भी बच्चों को लुभा रही है. दुकानों पर प्लास्टिक की पिचकारी 50 से 300 रु., प्लास्टिक की पिचकारी 100 से 400 रुपए, स्टील की पिचकारी 300 से 500 रु., स्टील का फुब्बारा 300 से 800 रुपए तक की रेंज में मिल रहा है.

    बच्चे मना रहे होली

    शहर के विभिन्न क्षेत्रों के बच्चों ने होली खेलना शुरू कर दिया है. जिससे वे अब लोगों को होली करीब आने का संकेत दे रहे है. वहीं जोर जोर से कर्कश आवाज वाली पूंगी भी बजा रहे है. गणेश नगर, दुर्गा चौक, रामनगर आदि क्षेत्र के बच्चे शाम के समय आने जाने वाले नागरिकों पर पानी से भरे बलुन फेंक रहे है. जिससे वे होली का आगाज दे रहे है. नागरिक भी बच्चों को कुछ नहीं बोल रहे है. जिससे उनका उत्साह देखते ही बन रहा है. बच्चों की टोलियां शाम से ही होली खेलने में जुट जाती है.

    होली नजदीक आते आएगी रौनक

    पिछले दो सालों से कोरोना काल के चलते नागरिक होली का त्यौहार नहीं मना सके थे. इस बार बच्चे और बड़े होली को लेकर खासे उत्साहित हैं. उनका कहना है कि वे इस बार होली की सारी कसर पूरी करेंगे. बोर्ड की परीक्षाएं चालु है फिर भी वे समय निकालकर होली खेलेंगे. जैसे जैसे होली नजदीक आती जाएगी वैसे-वैसे होली की दुकानें और सजने लगेंगी.

    नेताओं के मुखौटे भी आ रहे हैं नजर

    होली बाजार में मोदी मुखौटा खूब बिक रहा है. इसके साथ ही दूसरे नेताओं के मुखौटे का समावेश हैं. इसके अलावा कार्टून कैरेक्टर डोरोमोन, पेपापिग, छोटा भीम आदि के मुखौटे भी छोटे बच्चे पसंद कर रहे हैं.