बारिश के बाद निकली धूप बढ़ा रही मच्छर

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    गोंदिया. बारिश  के चलते मौसम बदल गया है.  मौसम में नमी रहती है तो दिन में धूप निकलने पर उमस भी होने लगी है.  मौसम बदलने के साथ उतार चढ़ाव होने से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. नाली व बारिश के चलते जगह-जगह पानी भर जाने से उसमें मच्छर पनप रहे हैं. इस कारण लोग मच्छरजनित रोगों की चपेट में आ रहे हैं. जिले में  बारिश थमने के बाद  धूप से मौसम  करवट बदलता रहा है.

    शहर में बारिश व धूप के खेल में मच्छरों की फौज में निरंतर इजाफा होता जा रहा है जबकि कीट नाशक दवाओं का छिड़काव पर ध्यान दिया जा रहा है. जिससे रात के साथ ही दिन में भी मच्छरों की भरमार से लोग भारी परेशानी का शिकार हो रहे हैं.  सोमवार को शहर में  दिन भर धूप ने मौसम को पलट कर रख दिया तथा गर्मी व उमस से लोग परेशान दिखाई दिए.

    उधर पिछले दिनों हुई बारिश से जहां गड्ढों व गली मोहल्लों में पानी जमा होने तथा बाद निकलने वाली तेज धूप में पानी सड़ने के साथ ही बड़ी तादाद में मच्छर पैदा हो रहे है. हालात यह है कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मच्छरों की भरमार ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है तथा वह रात में चैन से सो भी नहीं पा रहे है. ऐसे में लोग कोरोना के साथ मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां फैलने की आशंका से चिंतित हैं. 

    इन दिनों भूमिगत गटर लाइन का कार्य चल रहा है शहर के मुख्य मार्गों व गलियों में इसके लिए खोदी गई सड़कों को पाइप  डालने के बाद भी समुचित   मरम्मत नहीं हो पाई और बारिश का पानी  इन सड़कों में बने गड्ढों में  भरने से मच्छर पनप रहे है.  मौसमी बीमारियों व मच्छरों के पनपने से रोकने के लिए तमाम अहतियाती कदम उठाए जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की जा रही है.

    मौसम में परिवर्तन होने के बाद बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बरसात में मच्छरजनित रोग का खतरा बढ़ जाता है.  इसके चलते लोग वायरल, डेंगू, मलेरिया, टायफाइड आदि बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में इस समय ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. इसके अलावा दूषित भोजन व पानी का सेवन करने से सबसे अधिक डायरिया से ग्रसित लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं. 

    भरपूर पानी पीते रहें

    चिकित्सकों के अनुसार अत्यधिक उमस से  ज्यादा पसीना निकलता है ऐसे में  डिहाइड्रेशन से इंकार नहीं किया जा सकता. पूरे वर्ष की तरह मानसून के दौरान भी खुद को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है. शुद्ध जल का पर्याप्त सेवन करें ताकि  शरीर और त्वचा हाइड्रेटेड बनी रहे. इससे  शरीर को संक्रमण से लड़ने की क्षमता भी मिलती है. इसके अलावा भरपूर पानी पीने से शरीर के विषाक्त तत्त्व भी पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकलते रहते हैं. बारिश के बाद वातावरण में बढ़ती उमस के कारण वायरल, बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण भी सक्रिय हो जाते हैं. इस दौरान डेंगू, मलेरिया आदि के मामले भी बढ़ जाते हैं. फिर उमस भरे मौसम में शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है. इसलिए मानसून के दौरान सभी को ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. 

    मच्छरों से बचाव

    वैसे तो डेंगू व मलेरिया के मामले गर्मियों में दिखने लगते हैं, लेकिन जब बारिश शुरू होती है, तो इसकी संभावना अधिक होती है. उमस बढ़ते ही कीड़े-मकोड़ों को पनपने का माकूल माहौल जो मिल जाता है. ठहरे हुए पानी में मच्छरों को प्रजनन करने की अच्छी जगह मिल जाती है और हवा में बढ़ती उमस उन्हें पनपने का अच्छा मौका देती है. इसीलिए मच्छरजनित बीमारियों का कहर मानसून के मौसम में चरम पर होता है. अत: घर के आसपास संग्रहित पानी में मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करना चाहिए.