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    गोंदिया. जिला धान की फसल के लिए पहचाना जाता है. इस जिले में दोनों मौसम में मुख्यत: धान फसल के उत्पादन लिए जाते है. लेकिन किसानों के हितों का संरक्षण करने के नाम पर राजनीति दिखाई दे रही है. इसमें प्रत्यक्ष किसानों का हितैषी कौन ? इसकी खोज करना भी किसानों के लिए संभव नहीं है. रबी मौसम की धान खरीदी की अवधि व सीमा इन दोनों विषयों को लेकर जिले में राजनीति होने लगी है.  राज्य की सत्ता पार्टी व विपक्ष भी किसानों के हितों को ध्यान में रखकर मोर्चे व आंदोलन कर रहे हैं. इन आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से किसान भ्रम में फंस गया है.

    सीमा बढ़ाने के लिए राकां का आज धरना आंदोलन

    रबी मौसम की धान खरीदी की अवधि व सीमा बढ़ाई जाए. इसके लिए राकांपा ने 27 मई को मोर्चा व आंदोलन का आयोजन किया है. इस मोर्चे में जिले के किसानों को शामिल होने का आहृवान भी किया गया है. जिले में 68 हजार हेक्टर क्षेत्र में रबी मौसम में धान की बुआई की गई. पिछले वर्ष रबी मौसम में आधारभूत कीमत पर 22 लाख क्विंटल धान की खरीदी की गई.

    इस तुलना में इस वर्ष फसल समाधानकारक होने से लगभग 30 लाख क्विंटल धान की खरीदी अपेक्षित है. लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 11 लाख क्विंटल धान खरीदी की अनुमति दी है. ऐसा आरोप राकांपा द्वारा लगाया गया है. इतना ही नहीं धान खरीदी के कम समय के लिए भी केंद्र सरकार जिम्मेदार है. जिससे किसानों की समस्या को लेकर जिलाधीश कार्यालय पर धरना मोर्चा आंदोलन आयोजित है. इसका नेतृत्व पूर्व विधायक राजेंद्र जैन, विधायक मनोहर चंद्रिकापुरे व जिलाध्यक्ष गंगाधर परशुरामकर करेंगे.

    किसान विरोधी भूमिका वालों द्वारा मोर्चा निकालना शर्मनाक -बडोले

    राज्य सरकार की पार्टी को अब भी रबी मौसम के उत्पादन किसानों के घर पहुंचे इसकी जानकारी नहीं है. रबी मौसम के धान की कटाई व मलनी हुई है. लेकिन अब तक जिले में आधारभूत धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए है. जिससे पर्याय के रूप में किसान व्यापारियों के दरवाजे पर पहुंच  रहे हैं. इसमें अपनी गलती छुपाने के लिए दुसरों पर  उंगली दिखाकर जो लोग किसानों के हित के नाम पर धरना आंदोलन कर रहे है  यह बात पुर्णत: हास्यास्पद है.  ऐसा  आरोप पूर्व मंत्री राजकुमार बडोले ने लगाया है. जो राज्य सरकार के हाथ में है.

    किसानों को न्याय देने की बजाए दिखावा करने का स्वयं परिचय दे रहे है. ऐसा भी आरोप लगाते हुए  बडोले ने कहा कि हर वर्ष 1 से 5 मई के दौरान धान खरीदी केंद्र शुरू होते है  लेकिन मई महीना समाप्त हो रहा है. फिर भी धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए है. सन 2021-22 का बोनस नहीं दिया गया. नियमित कर्ज का भुगतान करने वाले किसानों को 50 हजार रु. प्रोत्साहन अनुदान घोषित किया गया. वह भी नहीं दिया गया है.

    इसी तरह खरीफ मौसम में हुए फसल नुकसान का मुआवजा भी नहीं दिया गया. विद्युत बिल में कोई सुविधा नहीं दी गई. इसके विपरित आपस में बिल का निर्धारण कर सरकार किसानों को लूट रही है. राज्य सरकार और सरकार की पार्टी किसान विरोधी भूमिका का परिचय देकर मोर्चे आंदोलन का आडंबर क्यों कर रहे है.