eople are facing problems due to closure of railway facility, demand to start Godavari and Kamayani

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    गोंदिया.  दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की 106 रेल इंजनों में रीयल टाइम इंफार्मेशन सिस्टम (आरटीईएस) डिवाइस लगाए गए है. चरणबद्ध तरीके से सभी इंजनों में इस प्रणाली को स्थापित किए जाने की योजना है. स्टेशन से छूटने के बाद ट्रेन किस क्षण कहां पहुंची, अब इसकी सटीक जानकारी ट्रेनों के इंजनों में लगे रीयल टाइम इंफार्मेशन सिस्टम (आरटीईएस) की मदद से मिल रही है.

    इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सैटेलाइट आधारित डिवाइस रेल इंजनों में लगाई गई है जो कि जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की गति पढ़कर अपडेट जारी करती है.

    सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की ट्रैकिंग के लिए इंजनों में फिट डिवाइस के द्वारा सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की एक-एक पल की लोकेशन सिस्टम में ऑटोमेटिक फीड होती है. इससे न सिर्फ रेल इंजनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है बल्कि यात्रियों को भी इस सुविधा का लाभ ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी के रूप में आसानी से मिलेगी. 

    पूर्व में ट्रेनों की लोकेशन की जानकारी स्टेशन से स्टेशन के आधार पर मिलती थी. बीच की लोकेशन औसत चाल के हिसाब से गणना के आधार पर अपडेट की जाती हैं. वर्तमान में रीयल टाइम इंफार्मेशन सिस्टम (आरटीईएस) के साथ अपग्रेड सिस्टम के शुरू हो जाने से ट्रेन स्टेशन पर पहुंचने की वास्तविक टाइमिंग पता चलने के साथ ही साथ ट्रेन किसी जंगल से गुजर रही है या फिर कहीं आउटर पर खड़ी है, इन सबकी जानकारी भी मिलेगी.

    चूंकि भारतीय रेलवे में इंजन अलग-अलग ट्रेनों के साथ पूरे देश में भ्रमण करते हैं. अतः इस प्रणाली से रेलवे इंजनों को आसानी से कहां है इसका पता लगाया जा सकता है और इन रेल इंजनों  के आवधिक मेंटेनेंस आदि को भी आसानी से सुनिश्चित किया जा सकेगा.