बस की प्रतीक्षा में ग्रामीण नागरिक

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    सालेकसा. तहसील के कई गांवों में अब तक महामंडल की एसटी बस नहीं पहुंचने से ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को निजी वाहनों में जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है. वहीं कई लोग तो पैदल ही सफर करते हैं. इस प्रकार नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

    आदिवासी बहुल, नक्सलग्रस्त के तौर पर सालेकसा तहसील को पहचाना जाता है. यहां के अनेक गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. अनेक गांवों का समावेश नक्सलग्रस्त क्षेत्र में है. ऐसे क्षेत्रों में पानी से लेकर मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. नक्सल प्रभावित गांव होने से शासकीय अधिकारी, शिक्षक, स्वास्थ्य अधिकारी व विविध शासकीय कर्मचारी यहां मौजूद नहीं रहते. जिससे ऐसे गांवों का विकास ही नहीं हो पाता.

    स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी तहसील के गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. गांवों में पीने के पानी के लिए अब तक शासकीय योजना नहीं पहुंच पायी है. कई मार्गों का काम अधूरा है, तो कई गांवों तक सड़क ही नहीं बनी है. गांवों में किसी भी तरह के शासकीय कार्यालय नहीं है. कुछ गांवों में मार्गों का डामरीकरण हुआ है. लेकिन अब तक ऐसे मार्गों पर एसटी बस नहीं पहुंच पाई है.

    शालेय विद्यार्थी, चिकित्सालय, कृषि विभाग कार्यालय में जाने के लिए अनेक गांवों के नागरिक एसटी बस की सुविधा नहीं होने की वजह से निजी वाहनों में सफर करते हैं. अनेक गांवों में मार्ग की सुविधा होने के बाद भी एसटी बस नहीं दौड़ रही है. जिसकी वजह से नागरिक परेशान नजर आ रहे हैं.