लॉकडाउन में मंदिरों की आमदनी ‘लॉक’

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– डेढ़ महीने से श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी

– भगवान को भी है अपने भक्तों का इंतजार

– पुजारियों के वेतन के साथ अन्य खर्चे जारी

– फिर भी पीएम सीएम फंड में दे रहे हैं दान

मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से संपूर्ण महाराष्ट्र में पिछले 40 दिनों से लॉकडाउन जारी है. इसका असर प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा से एक हप्ते पूर्व ही 16 मार्च से प्रदेश के सभी मंदिरों को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया था. श्रद्धालुओं की आस्था से मिलने वाली दक्षिणा से संचालित होने वाले मंदिरों की आमदनी भी लॉकडाउन के कारण लॉक हो गई है.

 हमेशा भक्तों के जयकारे और घंटे की ध्वनि से गुंजायमान रहने वाले मंदिर में विराजित भगवान को भी अपने भक्तों का बेसब्री से इंतजार है. डेढ़ माह से बंद सभी प्रमुख मंदिरों की अधिकांश हुंडियां खाली पड़ी हैं. इसके बावजूद भी मंदिर प्रबंधन पुजारियों, कर्मचारियों के वेतन के साथ सभी खर्चों को वहन कर रहा है. कई मंदिरों ने तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहतकोष में लाखों की धनराशि दान की है. मंदिर के आसपास प्रसाद और हार फूल की दुकानों की आमदनी भी इसके साथ ही बंद हो गई है. वहां काम करने वाले कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए हैं.

शिर्डी की हुंडी में नहीं, ऑन लाइन धनवर्षा

लॉकडाउन से एक हप्ते पहले ही भक्तों के लिए बंद कर दिए गए शिर्डी के साईबाबा मंदिर में भक्तों का प्रवेश तो बंद है, लेकिन साईं भक्तों की अपनी श्रद्धा कम नहीं हुई. मंदिर में दर्शन बंद होने पर भी श्रद्धालुओं ने चढ़ावा चढाने में कोई कमी नहीं की है. 18 दिनों में साई संस्थान को ऑनलाइन के माध्यम से लगभग 1 करोड़ 90 लाख 70 हजार 754 रुपये का दान प्राप्त हुआ है. साई संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण डोंगरे ने बताया कि राम नवमी के 3 दिवसीय उत्सव में 23 लाख से ज्यादा की राशि संस्थान को प्राप्त हुई.

बरस रही बाबा की कृपा

नब्बे साल पहले साई बाबा मंदिर की दक्षिणा हुंडी में साल भर में चंद रुपये एकत्रित होते थे. अब इसी हुंडी में करोड़ों का चढ़ावा भक्त चढ़ाते है. भक्त इन दिनों घर बैठे ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से दर्शन का लाभ उठा रहे हैं और दान भी कर रहे हैं. सभी पर बाबा की कृपा बरस रही है. -डॉ. राजेंद्र प्रताप सिंह, ट्रस्टी.

सिद्धिविनायक मंदिर मंदिर लॉक

दादर पश्चिम के प्रभादेवी स्थित प्रसिद्ध गणपति मंदिर भी कोरोना के चलते पिछले डेढ़ महीने से बंद है. यहां भी श्रद्धालुओं को ऑन लाइन दर्शन मिल रहा है.प्रतिदिन हजारों की संख्या में आने वाले भक्तों की संख्या मंगलवार को लाख के ऊपर होती थी, जबकि अंगारकी चतुर्थी पर यह संख्या कई लाख तक होती थी. इसी अनुसार यहां चढ़ावा भी आता था. महीने में भक्तों की आस्था से यहां करोड़ों रुपए की धनराशि आती थी लेकिन लॉक डाउन में काफी कमी आयी है.

शिव भोजन और सीएम राहतकोष में 5-5 करोड़

लॉकडाउन का असर तो है, लेकिन भगवान गणपति की कृपा से हमारे हौसलों में कोई कमी नहीं आयी है. डेढ़ महीने से मंदिर बंद है. फिर भी ट्रस्ट ने सरकार की शिवभोजन योजना के लिए 5 करोड़ का दान दिया गया है ताकि गरीबों की भूख मिट सके. इसी तरह से मुख्यमंत्री राहतकोष में भी 5 करोड़ रुपये की की धनराशि प्रदान की गई है.

-आदेश बांदेकर, चेअरमैन

मुंबादेवी मंदिर की भी कम हुई आमदनी

मुंबई की कुलदेवी के रूप में विराजित मां मुंबादेवी मंदिर भी कोरोना के चलते पिछले डेढ़ महीने से लॉक है. यहां भी लॉकडाउन का असर पड़ा है, लेकिन मंदिर प्रबंधन के आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं है. इसीलिए पीएम केअर फंड और सीएम राहतकोष में धनराशि प्रदान की गई है. सूत्रों के अनुसार यहां हर हप्ते लगभग 4 से 5 लाख रुपये का दान हुंडियों में जमा होता था, नवरात्रि के 9 दिनों में 35 से 40 लाख रुपए आते थे, लेकिन डेढ़ महीने में करोड़ से ऊपर का नुकसान हुआ है. फिर भी मातारानी की कृपा से सबकुछ यथावत चल रहा है.

महालक्ष्मी मंदिर भी प्रभावित

देश की आर्थिक राजधानी की कोषाध्यक्ष के रूप में पूजित महालक्ष्मी माता का मंदिर भी लॉकडाउन से प्रभावित है. यहां भी डेढ़ महीने से भक्तों का प्रवेश बंद है. सूत्रों के अनुसार यहां हर हप्ते भक्तों के चढ़ावे से 10 से 15 लाख रुपये जमा होते थे जो नवरात्रि में 40 से 50 लाख रुपए तक होता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते यहां भी करोड़ के ऊपर नुकसान हुआ है.

बाबुलनाथ शिवालय पर भी असर

दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी के पास स्थित लगभग 400 साल प्राचीन बाबुलनाथ मंदिर भी लॉकडाउन के चलते पिछले डेढ़ महीने से पूर्णतः बंद है. सूत्रों के अनुसार प्रत्येक हप्ते यहां 3 से 4 लाख रुपये का दान हुंडियों में भक्तों द्वारा जमा होता था जो श्रावण और अधिक मास में ज़्यादा होता था.