Bawankule and Eknath Shinde

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नागपुर. मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) आंदोलन के नेता मनोज जरांगे (Manoj Jarange) ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने के बाद शनिवार को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म कर दी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें ओबीसी को प्राप्त सभी लाभ मिलेंगे। हालांकि, शिंदे के इस फैसले पर ओबीसी समुदाय में रोष है और इसका विरोध कर रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने विपक्ष पर ओबीसी समुदाय में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया।

बावनकुले ने कहा, “विपक्षी के नेता ओबीसी समुदाय में भ्रम पैदा कर रहे हैं। सरकार के पास रिकॉर्ड थे लेकिन प्रमाण पत्र नहीं मिला। अधिसूचना प्रकाशित होने दीजिए, कोई आपत्ति होगी तो सुना जाएगा। मराठा समुदाय को देवेंद्र फडणवीस सरकार में आरक्षण मिला था लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार ने इसे बरकरार नहीं रखा। उसी आरक्षण को वापस लौटाना सरकार की भूमिका है।”

छगन भुजबल ने शिंदे के फैसले पर उठाया सवाल

इससे पहले केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने आरक्षण मुद्दे पर सरकार के इस कदम की आलोचना की और ओबीसी श्रेणी में ‘पिछले दरवाजे से मराठों के प्रवेश’ पर सवाल खड़ा किया। भुजबल ने कहा, “ओबीसी के बीच यह सोच बन रही है कि वे अपना आरक्षण गंवा बैठे हैं, क्योंकि मराठे (उसके) लाभ ले लेंगे।” मंत्री ने कहा कि वह मराठों को अलग से आरक्षण देने का समर्थन करते हैं, लेकिन वह उनके साथ मौजूदा ओबीसी आरक्षण साझा करने के पक्ष में कतई नहीं हैं। उन्होंने दावा किया, “चूंकि एक बार वे मौजूदा ओबीसी आरक्षण का हिस्सा बन गये, तो सिर्फ उन्हें ही लाभ मिलेगा।”

भुजबल की नाराजगी दूर करेंगे

भुजबल के बयान पर बावनकुले ने कहा, “हम उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश करेंगे। सरकार के इस फैसले से ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है क्या? इसकी जांच करेंगे। इस पर आपत्तियां भी मांगी गई हैं। उनकी सुनवाई होगी। उसके बाद, अधिसूचना स्वीकार कर ली जाएगी। जो लोग मूल रूप से कुनबी समुदाय से हैं, उन्हें अब जल्द से जल्द प्रमाण पत्र मिलेगा।”

ओबीसी के साथ अन्याय नहीं होगा

बावनकुले ने आगे कहा, “ओबीसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। यह भूमिका सभी दलों की है। सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री ने इसे स्वीकार कर लिया। सरकार के फैसले से ओबीसी समुदाय के नाराज होने का सवाल ही नहीं है। ओबीसी में किसी को साइड लाइन नहीं किया गया है। ओबीसी समुदाय में अन्याय को लेकर आज भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।”