वन दावेदारों ने दी आक्रोश आंदोलन की चेतावनी

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    चोपड़ा : पिछले दिनों यहां तहसील में खेत मजदूर (Farm Worker) पंचायत के जिला सचिव संजीव शिरसाठ (Sanjay Shirsat) के नेतृत्व में तहसीलदार को ज्ञापन दिया गया। इस ज्ञापन में कहा गया है कि एैन बारिश के मौसम की शुरुवात होते ही अतिक्रमण (Encroachment) के नाम पर आदिवासियों (Tribals) के झोपडे तोड कर उन्हें बेघर कर के खुले में ना छोडे। प्रशासन के ठेकेदार जरा मानवता दिखाऐं।

    बारिश के मौसम में आदिवासी कहां जाएंगे

    वनदावेदारों के अतिक्रमण और घर तोडना तुरंत रोका जाए, इस मांग के लिए किसान खेत मजदूर पंचायत के जिला सचिव संजीव शिरसाठ के नेतृत्व में तहसिलदार अनिल गावित को ज्ञापन दिया गया। चोपड़ा, यावल तहसीलों के आदिवासियों के वनदावे तहसिल, उपविभागीय अधिकारी, जिला अधिकारी के पास वनदावे प्रलंबित हैं, अपिलार्थी, अंशदा पात्र हैं इसलिए आदिवासियों के झोपडे और घर अतिक्रमण के नाम पर तोडे जा रहे हैं। यह हम सह नहीं सकेंगे। बारिश के दिनों में आदिवासी कहां जाएंगे। मानवता के दृष्टिकोण से ही सही अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए। अतिक्रमण करने से पहले वन और राजस्व अधिकारी को आदिवासियों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी। 

    लेकिन एैसा नहीं किया गया

    वन और राजस्व अधिकारियों को विधायक लताताई सोनवणे और वनहक्क समिती महाराष्ट्र राज्य और आदिवासी वन दावेदारों के साथ तुरंत एक बैठक ली जाए और आदिवासियों पर होने वाला अन्याय रोका जाऐ एैसे विचार संजय शिरसाठ ने व्यक्त किया है। इस मौके पर संजीव शिरसाठ, ताराचंद पाडवी, देवसिंग पावरा, गणदास बारेला, यासु बारेला, सौ नाजाबाई पावरा, बाटीबाई बारेला, नर्साबाई पावरा, नानीबाई पावरा, अनिता पावरा, सकुबाई बारेला, बायकाबाई बारेला, सोलंकीबाई बारेला, दोयरबाई बारेला, अंबिंबाई बारेला, मधु भिल, गेलसिंग बारेला, बालसिंग बारेला, बियानु बारेला, नका बारेला, गजिराम पावरा, गुडा बारेला, दगडु बारेला, पिंटु पावरा, प्रताप बारेला, भावलाल बारेला, राजेश बारेला, जगदिश बारेला, रायसिंग बारेला, बिहारी बारेला, राजु बारेला, प्रेमसिंग बारेला के साथ सैकड़ों आदिवासी महिला पुरुष उपस्थित थे।