Eknath Khadse

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    -वाहिद काकर

    जलगांव: पूर्व राजस्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता एकनाथराव खड़से (Eknath Khadse) को भोसरी मामले (Bhosari Case) में पुणे अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने राहत देते हुए गिरफ्तार करने अथवा हिरासत में लेने से मना किया है। जांच एजेंसी पर न्यायाधीश ने तीखे शब्दों में आलोचना की है कि जांच एजेंसी सरकार के इशारों पर नाच रही हैं। न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर आरोपी एकनाथ खड़से पर निशाना साधने की कोशिश सत्ताधारी कर रहे हैं। एक तरह से ब्लैकमेलिंग का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह की जानकारी रविवार को पत्रकार वार्ता में विधायक खड़से ने पुणे सत्र न्यायालय के ऑर्डर की कॉपी का दिखाते हुए दी है।

    उन्होंने कहा कि उनकी आवाज दबाने के लिए अथवा उन्हें दलबदल करने के लिए सत्ताधारी प्रताड़ित कर रहे हैं। सत्ताधारी सत्ता का दुरुपयोग कर परेशान कर रही हैं। इस तरह का निशाना विधायक एकनाथ खड़से ने भाजपा और शिंदे सरकार पर लगाया है। खड़से ने बताया कि भोसरी मामले में शिकायतकर्ता और सरकार ने भोसरी प्लॉट मामले में नए सिरे से जांच की मांग की है। 21 अक्टूबर को अदालत में कार्यवाही हुई तो कोर्ट ने सरकार और जांच एजेंसी पर कई गंभीर सवाल उठाए। 

     मेरे परिवार पर कई आरोप लगाए गए थे

    खड़से ने कहा कि भोसरी मामले में मेरे परिवार पर कई आरोप लगाए गए थे। 2016 में पुणे के कंस्ट्रक्शन हेमंत गावंडे ने शिकायत की थी। एसीबी ने जांच शुरू की और 2018 तक जांच की गई। उन्होंने पूछताछ में बताया कि शिकायत में कोई सच्चाई नहीं साबित हुई। एसीबी ने 2018 में रिपोर्ट अदालत में पेश की गई थी और मामले को बंद करने की मांग की गई थी। सत्तारूढ़ दल द्वारा बार-बार समय मांगे जाने के कारण सुनवाई में 2022 तक देरी हुई।

    हेमंत गावंडे ने नए सिरे से की जांच की मांग

    हेमंत गावंडे सरकार ने इस मामले में नए सिरे से जांच की मांग की, 21 अक्टूबर 2022 को पुणे न्यायालय में सुनवाई हुई। खड़से द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अदालत ने सुनवाई में कुछ मुद्दों को दर्ज किया है। जिस पर न्यायालय ने कहा कि अभियोजन-जांच निकाय रिपोर्ट का समर्थन करता है। मूल शिकायतकर्ता उसका खंडन निंदा करता है। यह एक अनूठा मामला है। न्यायाधीश ने भोसरी मामले में आदेश जारी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जांच निकाय सत्ता में बैठे लोगों की धुन पर नाच रहे हैं। जांच एजेंसी सत्ता में बैठे लोगों के प्रति वफादार रहने की कोशिश कर रहे हैं न कि अपनी नौकरी के प्रति वफादार हैं। महत्वपूर्ण जांच निकायों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने काम और जनता के प्रति ईमानदारी और निष्ठा से काम करें। 

    कोर्ट में 31 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश

    जांच एजेंसियां कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर  निशाना साधने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में जांच एजेंसी और सत्ता के दुरुपयोग पर कुछ प्रतिबंध लगाने चाहिए। अन्यथा आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में लिया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि खड़से से धमकी के माध्यम से अवैध रूप से कुछ प्राप्त करने का प्रयास किया जा सकता है। अपराध संख्या 121/2017 में आगे की जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होगी। अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी 31 जनवरी 2023 को या उससे पहले अंतिम रिपोर्ट सौंपें। इस तरह का निर्देश कोर्ट ने दिया है।