जलगांव की राजनीति में लौटने की अटकलें, समर्थकों की नजर सुरेश जैन पर

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    जलगांव : आवास घोटाले (Housing Scam) मामले में जेल में बंद सुरेश जैन (Suresh Jain) को जमानत मिलने के बाद यह कहा जा रहा है कि वे जलगांव की राजनीति (Politics of Jalgaon) में वापस लौटेंगे या फिर वे घर पर ही बैठकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे। सुरेश जैन के समर्थकों (Supporters) की निगाहें जैन की ओर लगी हुई हैं। सुरेश जैन ने जेल में रहते हुए ही 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पराजित होने के बाद सुरेश जैन एक तरह से सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। आवास घोटाले में जमानत मिलने के बाद एक बार फिर यह कहा जाने लगा है कि क्या वे जलगांव की राजनीति में सक्रिय होंगे या नहीं, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। 

    मुंबई उच्च न्यायालय ने सुरेश जैन को नियमित जमानत दे दी थी, अभी तक उनके जलगांव आने पर रोक थी। इस नियमित जमानत से उन्हें भी सुकून मिला है, सुरेश दादा के करीबी रिश्तेदारों ने कहा कि सुरेश जैन अब कहीं भी जा सकते हैं, वह जल्द ही जलगांव भी आएंगे। सुरेश जैन का न केवल जलगांव जिले में बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक अलग प्रभाव था, वह जलगांव विधानसभा क्षेत्र से लगातार नौ बार निर्वाचित हुए हैं। 1985 से जलगांव महानगरपालिका में लगभग 30 वर्षों तक उनका दबदबा रहा। सुरेश जैन का सहकारिता के क्षेत्र में भी अच्छा खासा दबदबा रहा है, वे जलगांव जिला बैंक के अध्यक्ष के पद पर भी रह चुके हैं। 

    जलगांव महानगरपालिका में सुरेश जैन के नेतृत्व वाली शिवसेना की सत्ता

    जलगांव महानगरपालिका के घरकुल में हेराफेरी के मामले में उन्हें कारावास की सजा सुनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों से जैन राजनीति से पूरी तरह से दूर रहे हैं। सुरेश जैन के कट्टर समर्थकों ने सुरेश जैन के नेतृत्व में 2018 में जलगांव महानगरपालिका का लड था। इस चुनाव में शिवसेना को सिर्फ 15 सीटें ही मिलीं थी। हालांकि, ढाई वर्ष बाद बीजेपी के नगरसेवक अलग हो गए और शिवसेना को समर्थन दे दिया। शिवसेना की जयश्री महाजन जलगांव महानगरपालिका की महापौर बनीं, इसलिए आज भी कहा जाता है कि जलगांव महानगरपालिका में सुरेश जैन के नेतृत्व वाली शिवसेना की सत्ता है। 

    नियमित जमानत मिलने के बाद अब वे जलगांव आ सकते हैं

    सुरेश जैन कई वर्षों से राजनीति से दूर हैं, इसलिए जलगांव के राजनीतिक क्षेत्र में नेतृत्व का एक बड़ा शून्य हो गया है। नियमित जमानत मिलने के बाद अब वे जलगांव आ सकते हैं, हालांकि, राजनीति में फिर से सक्रिय होने या न होने के बारे में पूरा फैसला उनकी अपनी राय पर निर्भर करेगा। हालांकि, सुरेश जैन उनके कार्यकर्ता, समर्थक अभी-भी सुरेश जैन के राजनीतिक क्षेत्र में फिर से प्रवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह कहने के लिए किसी राजनीतिक विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है कि अगर सुरेश जैन दोबारा राजनीति में सक्रिय हुए तो जलगांव की राजनीति में बड़ा उलटफेर होगा।