नई दिल्ली/मुंबई. केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा शिवसेना के शिंदे गुट को ‘शिवसेना ‘का नाम और ‘धनुष-बाण’ का चुनाव चिन्ह देने के फैसले से अब महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल जमकर गरमाया हुआ है। वहीं इस मुद्दे को लेकर अब शिवसेना के उद्धव गुट के कद्दावर सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने सनसनीखेज आरोप लगाया है कि, बालासाहेब के शिवसेना के इस ‘चुनाव चिन्ह’ और ‘नाम’ हासिल करने के लिए करीब 2 हजार करोड़ का सौदा हुआ है।
I have informed the nation with my tweet. The way our symbol & Shiv Sena’s name has been taken is not just, it’s a business deal for which Rs 2000 cr worth of transactions are done within 6 months. And this is my initial estimate: Uddhav Thackeray faction leader Sanjay Raut pic.twitter.com/XUjT1yHXpW
— ANI (@ANI) February 19, 2023
जानकारी हो कि जहां एक तरफ ‘शिवसेना’ का नाम और चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ उद्धव ठाकरे के कब्जे से अब शिंदे समूह के पास चला गया है। वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को लेकर चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना भी की है।
2000 करोड़ का सौदा
लेकिन वहीं संजय राउत ने ट्वीट कर सनसनीखेज आरोप लगते हुए कहा कि, ‘मुझे सुनिश्चित रुप से पता है कि इस चुनाव चिह्न और नाम को हासिल करने के लिए अब तक 2000 करोड़ के सौदे और लेनदेन किए जा चुके हैं। उनका तो यह भी कहना है कि, “यह तप एक शुरुआती आंकड़ा है और 100% सच है। जल्द ही कई बातों का खुलासा होगा।” राउत ने यह भी कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
#WATCH | The party, the leader & the dishonest group that bids Rs 50 cr for MLAs, Rs 100 cr for MPs & Rs 50 lahks to 1 cr to buy our councillors. How much it would bid to take our name & symbol, you decide? My info is Rs 2,000 Crores: Sanjay Raut, Uddhav Thackeray faction leader pic.twitter.com/QZBPnwtn7A
— ANI (@ANI) February 19, 2023
हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के विधायक सदा सर्वांकर ने इस दावे का खंडन किया और सवाल किया, ‘‘क्या संजय राउत खजांची हैं।” वहीं राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि उनके दावे के पक्ष में सबूत हैं जिसे वह शीघ्र ही सामने लायेंगे।
उनसे जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस परोक्ष बयान के बारे में पूछा गया कि कुछ लोग ‘‘विरोधी विचारधारा वालों के तलवे चाट रहे थे”, तब राउत ने कहा, “वर्तमान मुख्यमंत्री क्या चाट रहे हैं? शाह क्या कहते हैं, महाराष्ट्र के लोग उसे (उस बात को) भाव नहीं देते? वर्तमान मुख्यमंत्री को छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेने का अधिकार नहीं है।”
शाह ने शनिवार को कहा था कि जिन लोगों ने विरोधी विचारधारा के लोगों के “तलवे चाटना’ पसंद किया था, उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े को असली शिवसेना घोषित किए जाने और उसे ‘तीर-धनुष’ चुनाव निशान दिए जाने के बाद पता चल गया है कि सत्य किधर है। उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर शाह ने फिर कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का पद साझा करने की कोई सहमति नहीं हुई थी।
शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनाव का परिणाम सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था। इसने मुख्यमंत्री पद साझा करने के वादे से भाजपा के पीछे हट जाने का दावा किया था। बाद में उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एवं कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी गठबंधन बनाया था जिसने शिंदे के बगावत करने से पहले तक जून 2022 तक महाराष्ट्र में शासन किया।
गौरतलब है कि, केंद्रीय चुनाव आयोग ने बीते शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट (Ek Nath Shinde) को पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का प्रतीक ‘धनुष-बाण’ प्रयोग करने की परमिशन दी। वहीं राज्य के पूर्व कम उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग के फैसले को ‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’ बताया था। इसके साथ ही उद्धव ने कहा था कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
निर्वाचन आयोग के फैसले के कुछ घंटों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर यह भी संगीन आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार की ‘गुलाम’ बन चुकी है। साथ ही वह कल को उनके ‘मशाल’ के चिह्न को भी छीन सकता है।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने पलटवार करते हुए कहा था कि, उद्धव जी को ईर्ष्या छोड़ सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए। इस प्रकार देखा जाए तो 57 साल बाद ठाकरे परिवार से शिवसेना छिनी गई है। वहीं मामले पर उद्धव ठाकरे अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने वाले हैं। लेकिन इन सबके बीच आज उद्धव गुट के कद्दावर सांसद संजय राउत ने यह उपरोक्त सनसनीखेज आरोप लगाया है।