मुंबई: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी मराठी भाषी लोगों और मुंबई में बसे उत्तर भारतीयों में कोई फर्क नहीं करती। ठाकरे की इस टिप्पणी को बृहन्मुंबई महानगरपालिका के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले इस अहम वोट बैंक तक पहुंचने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने उत्तर भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए एकता का आह्वान किया और कहा कि घृणा फैलाना और लोगों को बांटना, हिंदुत्व का यह मतलब नहीं है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘मैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग हो गया क्योंकि मैंने कभी हिदुत्व को नहीं छोड़ा। भाजपा हिंदुत्व नहीं है। उत्तर भारतीय इस बात का जवाब चाहते हैं कि हिंदुत्व क्या है। एक दूसरे से नफरत करना हिंदुत्व नहीं है। हम मराठी भाषी और मुंबई में बसे उत्तर भारतीय लोगों में फर्क नहीं करते।” उन्होंने उत्तर भारतीय समुदाय से पूर्व की गलतफहमियों को भुला देने की अपील की।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना ने हमेशा खुद को इस धरती के पुत्रों के एकमात्र संरक्षक के रूप में पेश किया है और पूर्व में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया है। ठाकरे ने कहा कि वह अपने मानसम्मान की रक्षा के लिए भाजपा के साथ गठबंधन से अलग हो गए और 2019 के चुनाव के बाद महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के गठन के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एवं कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बालासाहेबांची शिवसेना धड़े के बागी शिवसेना विधायकों का साफ तौर पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘…नहीं तो मैं एक गुलाम बना रहता जिसके गले में पट्टा होता जैसा कि मेरे कुछ लोग अब बन गए हैं।” ठाकरे ने कहा कि जब भी वह उत्तर भारतीयों या मुसलमानों से मिलते हैं तो वह दुष्प्रचार अभियान का शिकार हो जाते हैं और उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाए जाते हैं।
उन्होंने कहा, “आपसे मेरी मुलाकात की आलोचना की गई है। अगर मैं मुसलमानों से मिलता हूं, तो कहा जाता है कि मैंने हिंदुत्व छोड़ दिया है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन पहले मुंबई आए, तो वह किसकी रसोई में गए थे? अगर मैंने ऐसा किया होता तो मुझे हिंदू विरोधी कहा जाता। लेकिन अगर प्रधानमंत्री ऐसा करते हैं तो यह कहा जाता है कि उनका दिल बड़ा है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम बोहरा समुदाय के खिलाफ कतई नहीं है। वे हमारे साथ हैं।” (एजेंसी)