Manoj Jarange and Raj Thackeray

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मुंबई. मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) गरमाई हुई है। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे (Manoj Jarange) की सभी मांगे मानते हुए एक अध्यादेश पारित किया था और जरांगे की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी खत्म करवाई। हालांकि, जरांगे ने अब 10 फरवरी से अनशन पर बैठने की घोषणा कर दी है। इस पर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) का बयान सामने आया है। उन्होंने दावा किया कि जरांगे की मांग एक झटके में पूरी नहीं होगी।

जीत के जश्न के बाद अब अनशन क्यों?

राज ठाकरे ने कहा, “नवी मुंबई में मुख्यमंत्री ने मराठा प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और मराठा मार्च करने वालों ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया। लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि क्या जीत हासिल हुई है? क्या मुंबई आए आम मराठा भाई-बहनों को पता था कि क्या निर्णय हुआ है? तब आनंद व्यक्त किया था तो फिर अब अनशन करने का समय क्यों आया?

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए

उन्होंने कहा, “जब मैं मनोज जरांगे से मिला तो मैंने प्रदर्शनकारियों के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से बता दी थी। जरांगे की मांग एक झटके में पूरी नहीं होगी। यह एक तकनीकी और कानूनी मुद्दा है। ऐसा फैसला राज्य सरकार नहीं ले सकती और अगर केंद्र सरकार इस पर कोई फैसला लेना चाहती है तो उसे सभी राज्यों की राय लेनी होगी। क्योंकि हर राज्य में यही स्थिति है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। एक विशेष सत्र बुलाना होगा।”

मनोज जारांगे को धोखा दिया गया?

क्या मनोज जरांगे के साथ धोखा हुआ हुआ है या उन्हें धोखा दिया गया, जिससे उन्हें एक बार फिर अनशन पर बैठना पड़ रहा है? इस सवाल पर राज ठाकरे ने कहा कि मैं कुछ कहता हूं तो पहले तो कड़वा लगता है। लेकिन यह बात सच भी है। मराठा समाज के भाइयों को इस बारे में सोचना होगा। एक बार मराठा समुदाय बड़ी संख्या में मुंबई आए। फिर दूसरी बार मुंबई में मार्च निकाला गया। लेकिन हर समाज को ये सोचना चाहिए कि हमें मार्च के लिए ले जाया जा रहा है क्योंकि किसी का राजनीतिक एजेंडा है।