सिर्फ गुलदस्ते से भरा घर, नहीं मिली आर्थिक मदद, पदक विजेता बेटी के पिता ने बयां किया दर्द

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  • पदक विजेता बेटी के पिता ने बयां किया दर्द
  • परिजनों को सरकार से है उम्मीद

मुंबई: दहिसर पूर्व स्थित धारखाडी जैसे स्लम क्षेत्र में फल बेच कर बेटी के सपनों को पंख देने वाले कैलाश मिश्रा (Kailash Mishra) का घर इन दिनों सिर्फ स्वागत करने वाले नेताओं के गुलदस्ते से भर गया है। परंतु किसी ने अभी तक उनकी कोई आर्थिक सहायता नहीं की है। मुंबई में उत्तर भारतीयों के नाम पर दंभ भरने वाले उत्तर भारतीय नेता मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह ने 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है।

स्वागत के बहाने नेता चमका रहे अपनी छवि
आस पड़ोस के लोगों का कहना है कि स्वागत करने के बहाने नेता अपनी छवि चमका रहे हैं। सोशल मीडिया पर दिन भर स्वागत करते हुए फोटो दिखा रहे हैं। मुंबई में दावा किया जाता है कि करीब 40 लाख उत्तर भारतीय हैं, लेकिन होनहार बेटी के परिजनों की मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. मिश्र ने बताया कि अलग अलग ग्रुप में लोग स्वागत करने आ रहे हैं। हम सभी के प्रति आभारी हैं, लेकिन आर्थिक मदद के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ रहा है।

आसियान चैम्पियनशिप में भी मिला था पदक
बता दें कि कैलाश मिश्रा की बेटी ऐश्वर्या मिश्रा ने एशियाई खेलों में महिलाओं की 4×400 मीटर रिले स्पर्धा में भारत को रजत पदक दिला कर मुंबई का नाम रोशन किया है। कैलाश मिश्रा ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि जुलाई 2023 में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में 4×400 मीटर रिले प्रतियोगिता में 2 कांस्य और एक गोल्ड मेटल बेटी ने अपने नाम किया था।  बेटी कई बार पदक जीत चुकी है और राज्य सरकार की तरफ से बेटी को किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है।

घर में नहीं गुलदस्ते की जगह
अब एशियाई खेल में बेटी ने रजत पदक हासिल किया है तो स्थानीय नेता गुलदस्ता देकर बधाई दे रहे है। 10 बाई 10 का घर सिर्फ गुलदस्ते से भरा हुआ है। अब घर के अंदर गुलदस्ता रखने की जगह भी नहीं बची है। हम गरीबी के हालात में भी बेटी को खेल के क्षेत्र में आगे लाए है। अब बेटी ने भारत के लिए एशियाई खेल में रजत पदक जीत कर मान बढ़ाया है। फिर भी सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं दिया जा रहा है। कैलाश मिश्रा ने सरकार से मांग की है कि बेटी को पदक के हिसाब से सरकारी नौकरी के साथ-साथ घर भी दिया जाए।