मुंबई: लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव (Election) की तैयारी तेज हो गई है, सभी पार्टियां अपने अपने उम्मीदवारों का समीकरण बनाने और मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में व्यस्त है। हालांकि मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवार नहीं होने पर नोटा का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि इलेक्शन कमिशन (election commission) मतदाता को पसंदीदा कैंडिडेट नहीं होने पर ‘नोटा’ (NOTA) के उपयोग का अधिकार देता है। अब देखना होगा की वर्ष 2019 के मुकाबले 2024 में वोटर्स नोटा का उपयोग कितना करते हैं। नोटा मुंबईकरों की पसंद बनता जा रहा है। क्या आप जानते हैं कि अगर नोटा को सबसे ज्याद वोट मिले तो क्या होगा?
2019 में बना नोटा का नया रिकॉर्ड
2019 में मुंबई के सभी छह लोकसभा क्षेत्रों में 82,000 से अधिक मतदाताओं ने ‘नोटा’ के अधिकार का प्रयोग किया था। नोटा के लिए सबसे ज्यादा वोटिंग मुंबई स्थित उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र सीट पर हुई थी। यहां 18 हजार 225 मतदाताओं ने ‘नोटा’ को वोट दिया था। इस सीट पर शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने कांग्रेस के संजय निरुपम को पराजित किया था। जबकि दक्षिण मुंबई में 15 हजार 115 मतदाताओं ने ‘नोटा’ विकल्प चुना था। यह अनुपात 1.89 फीसदी के बराबर है। खास बात यह है कि, मुंबई में हुए कुल मतदान में कहीं भी ‘नोटा’ को दो फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिले थे।
क्या है नोटा ?
नोटा (NOTA) का मतलब होता है नन ऑफ़ दी अबव यानी उपरोक्त में से कोई भी नहीं, यदि मतदाताओं को निर्वाचन क्षेत्र में कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है, तो वे ईवीएम में नोटा पर वोट कर सकते हैं। 2013 में एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने का आदेश दिया था। भारत के चुनाव आयोग ने 2013 में ही इसका पालन करना शुरू कर दिया था।
क्या होगा अगर नोटा की होगी जीत
नोटा की जीत होने पर उस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार को विजेता घोषित नहीं किया जाएगा। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग को उस निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव कराना पड़ेगा। नोटा के विजयी होने का मतलब है फिर से चुनाव, लेकिन क्या फिर से वही उम्मीदवार चुनावी मैदाने में उतर सकते हैं? इसका जवाब है नहीं सभी पार्टी को नए उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने होंगे, जिन्होंने निर्दलीय वो भी नोटा के जितने की वजह से हो रहे दोबारा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बन सकते। हां अगले चुनाव लड़ने का विकल्प उनके पास मौजूद है।
नोटा दूसरे नंबर पर
नवंबर 2022 में अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में नोटा दूसरे स्थान पर रहा था। इसमें जीत हासिल करने वाली उद्धव ठाकरे सेना की उम्मीदवार ऋतुजा लटके को कुल 66 हजार 530 वोट मिले थे। शिंदे सेना या मनसे ने उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज किया था। इसलिए ये लड़ाई एक तरफा थी। बता दें की बड़े पैमाने पर इस चुनाव में ‘नोटा’ का इस्तेमाल किया था। इसके लिए 12 हजार 806 वोट पाकर नोटा दूसरे स्थान पर था।
पार्टियों को सिर्फ सीट जीतने वाला व्यक्ति चाहिए
मोईन उस्मान शेख (एडवोकेट, हाईकोर्ट) का मानना है कि आजकल राजनीतिक पार्टियां जनता का काम करने वाले उम्मीदवार को टिकट नहीं देती है। टिकट उन्हें मिलता है, जो पावर के दम पर और पैसे खर्च कर चुनाव लड़ते हैं और बाद में क्षेत्र से गायब हो जाते है। पार्टियों को सिर्फ सीट जीतने वाला व्यक्ति चाहिए। इसके लिए पब्लिक नोटा को वोट देती है।
नेताओं की वजह से मतदाता नोटा को चुनते है
राजेश चिंतल (प्रोफेशनल जिम ट्रेनर) बताते हैं कि चुनाव जीतने के बाद नेता दल बदल लेते है। उन मतदाताओं की भी नहीं सोचते है, जिन्होंने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व के लिए चुना है। आजकल के नेता उस लायक ही नहीं है कि उन्हें वोट दिया जाए। सब जनता के भविष्य का नहीं सिर्फ भविष्य का सोचते है। यही हाल रहा तो मतदाताओं का विकल्प नोटा ही होगा।
जनता को पसंद उम्मीदवार दे
महमूद हकीमी (समाजसेवी) का कहना है कि सियासी पार्टियों को चाहिए की वो जनता की पसंद को देखते हुए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे, ताकि लोग अधिक संख्या में मतदान नोटा को नहीं कैंडिडेट को करें।