Rajya Sabha ticket: चुनाव आयोग ने 15 राज्यों में राज्य सभा की 56 के लिए चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। इनमें महाराष्ट्र में राज्य सभा की 6 सीटें शामिल है। अबकी बार 400 के पार का 400 नारा देने वाली बीजेपी और उसकी महायुति किसी भी हाल में महाराष्ट्र में राज्य सभा की कम से कम 5 सीटों को जीतना चाहती है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले राज्यसभा चुनाव में किसकी लॉटरी लगेगी यानी उम्मीदवारी मिलेगी, इसे लेकर आम से खास तक सभी के मन में उत्सुकता है।
इनका कार्यकाल हो रहा समाप्त
बता दें कि बीजेपी के प्रकाश जावड़ेकर, वी मुरलीधरन, नारायण राणे तथा कांग्रेस के कुमार केतकर, राकां की वंदना चव्हाण और शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद राज्यसभा अनिल देसाई का कार्यकाल 14 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। राज्यसभा की सभी सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होने हैं। इनमें बीजेपी के 3 तो वहीं कांग्रेस, शिवसेना (शिंदे गुट) व राकां (अजीत गुट) के एक-एक उम्मीदवार की जीत पक्की मानी जा रही है। ऐसे में वो भाग्यवान कौन होंगे, जिन्हें सर्वोच्च सदन (राज्यसभा) में जाने का अवसर मिलेगा? इसे लेकर लोगों में जबरदस्त उत्सुकता है।
बीजेपी से इनको मिल सकता है टिकट
गौरतलब है कि एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कई सांसदों एवं मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतार कर सबको चौंकाया था। अब ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी अपने कुछ सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। इनमें नारायण राणे का नाम भी शामिल हो सकता है, लेकिन राणे के पुत्र नीलेश ने 15 दिन पहले ही ये ऐलान कर दिया था कि बढ़ती उम्र के कारण नारायण राणे अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। सूत्रों का ऐसा दावा है कि अतीत में मिली हार के डर से राणे परिवार लोकसभा चुनाव में जोखिम नहीं लेना चाहता है। हालांकि राज्यसभा से दोबारा सदन में जाने की इच्छा नारायण राणे की भी है तथा कोकण में कोई बड़ा चेहरा पार्टी के पास न होने के कारण बीजेपी नारायण राणे को मौका दे सकती है।
BJP मुंडे व तावड़े को भी राज्यसभा की टिकट दे सकती है
इसी तरह बाहरी (दूसरे दलों से आए) लोगों को पार्टी में ज्यादा महत्व तथा पुराने व निष्ठावान लोगों की उपेक्षा का आरोप बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर लगता रहा है। खासकर विनोद तावडे व पंकजा मुंडे के मामले में। विनोद तावड़े की क्षमताओं के इस्तेमाल और उनकी उपलब्धियों के इनाम के रूप में तथा पुराने लोगों की उपेक्षा ले संबंधित आरोपों को झूठा साबित करने के लिए पार्टी मुंडे व तावड़े को भी राज्यसभा की टिकट दे सकती है। तो वहीं बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की उपेक्षा के आरोप भी लगते रहे हैं। दो बार ऐन वक्त पर पार्टी हित में मौका छोड़ने वाले संजय उपाध्याय को इस बार उनके समर्पण एवं निष्ठा का इनाम मिल जाए तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।
अजित गुट से पुत्र या साथी
राकां (अजित गुट) से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील तटकरे व अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार में से किसी एक को उम्मीदवारी मिल सकती है। इस बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि पवार परिवार में पार्थ इकलौते ऐसे सदस्य हैं जो अपना पहला चुनाव हार गए थे, ऐसे में अजित पवार सुरक्षित सियासी भविष्य बनाने के लिए अपने पुत्र पार्थ को राज्यसभा का टिकट दे सकते हैं, जबकि सुनील तटकरे भी राज्य सभा में जाने की इच्छा रखते हैं। पार्थ की तुलना में तटकरे का जनाधार काफी मजबूत है। इसलिए तटकरे को लोकसभा के जरिए भेजने के विकल्प पर अजित गुट विचार कर सकता है, ऐसा सूत्रों का दावा है।
कांग्रेस से निरुपम या कन्हैया
संसद में मोदी और उनके तेज तर्रार साथियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कांग्रेस किसी योग्य व्यक्ति को राज्यसभा का टिकट दे सकती है। मुंबई से संजय निरुपम इसके लिए सबसे तगड़े दावेदार माने जा रहे हैं। निरुपम को टिकट देकर पार्टी एक तीर से कई निशाने साध सकती है। मसलन उत्तर पश्चिम मुंबई सीट के लिए शिवसेना (उद्धव गुट) और निरुपम के बीच अतीत में हो चुके वाक युद्ध खत्म हो सकता है। क्योंकि 2019 में यहां से निरुपम को ही हरा कर शिवसेना (अखंडित) के गजानन कीर्तिकर लोकसभा में पहुंचे थे। हालांकि गजानन कीर्तिकर अब शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। इसके बाद भी शिवसेना उद्धव गुट, उत्तर पश्चिम मुंबई लोकसभा सीट पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं जबकि निरुपम भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की जिद पर अड़े हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यदि निरुपम को सीट नहीं मिलती है तो मिलिंद देवड़ा की तरह वो भी कांग्रेस के हाथ छोड़ सकते हैं। वहीं कांग्रेस कोटे से मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले तथा जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार को इमरान प्रतापगढ़ी की तरह महाराष्ट्र से राज्य सभा में भेज सकती है, लेकिन इसमें कांग्रेस से स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ सकती है।
शिंदे गुट से देवड़ा का नाम
शिवसेना उद्धव गुट के साथ दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट के लिए लंबे वाकयुद्ध में पार्टी का साथ नहीं मिलने से नाराज मिलिंद देवड़ा हाल ही में कांग्रेस छोड़कर शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हुए थे। ऐसा दावा किया जा रहा है कि शिंदे गुट से देवड़ा को राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया गया था। इसलिए अब देवड़ा के रूप में सीएम एकनाथ शिंदे एक युवा व तेज तर्रार प्रतिनिधि को राज्य सभा में भेज सकते हैं। लेकिन इस पूरी कवायद में उद्धव गुट और शरद पवार गुट को नुकसान भुगतना पड़ेगा इतना तय है।