मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व कैबिनेट मंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस (Congress) के सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरों में से एक आरिफ नसीम खान नने बीते दिनों लोकसभा चुनाव के ऐन बीचोंबीच अपनी ही पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘कांग्रेस को मुस्लिम वोट चाहिए उम्मीदवार क्यों नहीं’। वास्तव में खान मुंबई उत्तर मध्य से टिकट के इच्छुक थे, जो अंततः मुंबई कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड़ को मिला। नसीम खान का गुस्सा जायज है, क्योंकि सूबे में इस लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम नेता किसी प्रमुख राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ रहा है। हालांकि नसीम खान को अंततः आलाकमान ने मुहार करके मना लिया है।
राज्य में 11.56% मुस्लिम आबादी
1।30 करोड़ की आबादी के साथ मुसलमान महाराष्ट्र की आबादी का 11।56% हिस्सा हैं। उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा और पश्चिमी विदर्भ में उनकी संख्या अधिक है। 1960 में अस्तित्व में आने के बाद से महाराष्ट्र में मुस्लिम सांसदों की संख्या कभी भी राज्य में उनकी आबादी के अनुपात में नहीं रही है। पिछले 64 वर्षों में राज्य से चुने गए 614 लोकसभा सांसदों में से केवल 15 या 2।5% से कम मुस्लिम रहे हैं। पिछले चार लोकसभा चुनावों में कुल पांच मुस्लिम उम्मीदवारों ने प्रमुख दलों के टिकट पर चुनाव लड़ा है। 2004 में कांग्रेस ने कोलाबा से एआर अंतुले को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। राकांपा और कांग्रेस ने 2009 में एक-एक उम्मीदवार को नामांकित किया। उसके बाद 2015 और 2019 में कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार को नामांकित किया, जो सभी हार गए।
मुस्लिम विधायक भी कम
महाराष्ट्र में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी कम है। वर्तमान में विधानसभा में 10 विधायक हैं या 288 सदस्यीय सदन का 3।47%। इनमें कांग्रेस से चार, एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी से दो-दो और एनसीपी और शिवसेना से एक-एक। सदन में मुस्लिम विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा 13 रही है, जो 1972, 1980 और 1999 में चुने गए थे। 1984 तक जलगांव, अकोला, वर्धा, चंदा और रत्नागिरी सहित ग्रामीण और मिश्रित आबादी वाले लोकसभा क्षेत्रों से मुस्लिम नेता चुने जाते थे।
हालांकि 1990 के दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे महाराष्ट्र में राजनीति का ध्रुवीकरण हुआ और भाजपा के साथ-साथ शिवसेना का उदय हुआ अन्य पार्टियों ने मुसलमानों को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज करना शुरू कर दिया। राज्य के 48 लोकसभा क्षेत्रों में से 14 में घुले, नांदेड़, परभणी, लातूर, औरंगाबाद, भिवंडी, अकोला, ठाणे और मुंबई की छह सीटों पर समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या नगण्य बनी हुई है। मुंबई सीटों पर समुदाय स्थानीय मतदाताओं का 14% से 25% है।
अधिसंख्य मुस्लिम आबादी वाली सीट
धूले 24%
औरंगाबाद 20%
अकोला 19%
मुंबई (6 सीट) 18%
भिवंडी 17%
नांदेड़ 17%
परभणी 16%
लातूर 15%
थाणे 15%
महायुति से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं। कांग्रेस से भी एक भी मुस्लिम नाम नहीं
2009 से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी एनसीपी या कांग्रेस के किटकट पर नहीं जीता।
2009 से कांग्रेस ने अकोला से हिदायतुल्लाह पटेल को उतारा था, जो बीजेपी के संजय धोत्रे से हार गए थे।