Rain Basera
प्रतिकात्मक तस्वीर

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    -अनिल चौहान

    भायंदर: मुंबई और आस-पास के इलाकों में अचानक बढ़ी ठंड ने बेघरों की नींद उड़ा दी है। रैन बसेरों (Rain Basera) की भारी कमी से सड़क पर जीवन बसर करने वाले गरीबों की रात ठिठुर-ठिठुरकर कट रही हैं। उनके इस दुख से प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं होना प्रतीत होता दिख रहा है। मीरा-भायंदर (Mira-Bhayandar ) में आबादी के अनुपात से आठ रैन बसेरे होने चाहिए, लेकिन है सिर्फ एक। जबकि बेघरों की संख्या हजारों में हैं। 

    उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के दिशा-निर्देश और केंद्र सरकार की दीनदयाल अंत्योदय शहरी उपजीविका अभियान के तहत सड़क-फुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले गरीबों के सघन इलाकों में रैन बसेरे बनाना अनिवार्य हैं। इसके पीछे उनके रहने और जीने का दर्जा सुधारना सरकार की मंशा है, लेकिन प्रशासन गंभीर नहीं है।

    पहले शहर में 4-5 रेन बसेरे थे

    पहले शहर में 4-5 रेन बसेरे थे। एक-एक बंद होते गए। वर्तमान समय में मीरा रोड, विनय नगर में सिर्फ एक रैन बसेरा है। उसमें 77 बेड की क्षमता चलता है। रैन बसेरों की संख्या बढ़ने के बजाए घट गई। एक और रैन बसेरा शुरू करने का प्रस्ताव मीरा-भायंदर महानगरपालिका का समाज विकास विभाग तैयार किया है। उसे सरकार की मंजूरी मिलने में ठण्डी का मौसम बीत जाएगा। ठंड और बरसात के मौसम में बिना छत के जीवन जीना मुश्किल रहता है। वहीं ठंडी को लेकर मनपा ने एक अपील जारी की है और शीतलहर से बचने के उपाय भी बताए गए हैं। इसमें ज्यादा देर तक ठंड में नहीं रहने का सुझाव है, लेकिन जिनके सर पर छत ही नहीं है, वे तो रात अपने छोटे-छोटे बच्चे और महिलाओं के साथ फुटपाथ पर ही  गुजारने को मजबूर हैं।  

    रैन बसेरा मीरा-भायंदर महानगरपालिका के मालिकाना हक (7/12) वाली या भाड़े की इमारत में खोला जा सकता है। मीरा-भायंदर महानगरपालिका के पास उसके मालिकाना (7/12) हक वाली कोई इमारत नहीं है। भाड़े से जगह लेने के लिए हमने विज्ञापन निकाले थे, लेकिन कोई सामने नहीं आया।

    -दीपाली पोवार-जोशी, समाज विकास अधिकारी

    नए रैन बसेरा शुरू करने के लिए मीरा-भायंदर महानगरपालिका प्रशासन के पास इच्छाशक्ति ही नहीं है। राज्य सरकार और जिलाधिकारी से जमीन मांग कर भी वह उस पर बसेरे बना सकता हैं। खुले आसमान के नीचे सोने वाले गरीब मतदाता नहीं हैं इसलिए जनप्रतिनिधि भी उनकी सुध नहीं लेते हैं। प्रशासन बेघरों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।

    -रोहित सुवर्णा, पूर्व नगरसेवक