Dharavi

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मुंबई: अडाणी समूह (Adani Group Company) की एक कंपनी को 259 हेक्टेयर क्षेत्र की धारावी पुनर्विकास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) औपचारिक रूप से सौंपे जाने पर यहां के बाशिंदों को स्थानीय कारोबार पर निर्भर गरीब लोगों के इससे प्रभावित होने का डर सता रहा है। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Goverment) ने परियोजना अडाणी समूह की कंपनी को सौंपी है। 20,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षमता वाली इस परियोजना के तहत मध्य मुंबई में बीकेसी व्यापारिक जिले के निकट स्थित धारावी झुग्गी बस्ती का पुनर्निर्माण शामिल है।

एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक, धारावी में काफी संख्या में झुग्गी-झोपड़ी है और यहां कई छोटे कारोबार संचालित किये जाते हैं। धारावी नागरिक सेवा संघ के अध्यक्ष पॉल राफेल ने कहा, ‘‘हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकार ने यह परियोजना अडाणी समूह की एक कंपनी को सौंप दी है। इलाके में सैकड़ों दो मंजिला ढांचे हैं, जिनमें से एक कमरा घर के मालिक के पास है और दूसरा किरायेदार के पास है और कुछ लोग अपने घर का खर्च चलाने के लिए किराये से मिलने वाले पैसों पर निर्भर हैं।”

उन्होंने पूछा कि यदि इन ढांचों को परियोजना के तहत ध्वस्त कर दिया जाता है और मकान मालिकों को बाद में सिर्फ एक कमरा दिया जाता है, तो वे क्या करेंगे। राज्य सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धारावी निवासी वकील संदीप कटाके ने आरोप लगाया कि यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा भूमि घोटाला होगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में धारावी का पुनर्विकास करना चाहती है, तो एक नया सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत लोग स्थानीय कारोबार पर निर्भर हैं, जिन्हें सुरक्षित रखने की जरूरत है।

 धारावी परियोजना में किसका भला होने वाला है?

वकील ने दावा किया, ‘‘पुनर्विकास के नाम पर किसी भी परिवार को धारावी से बाहर नहीं भेजा जाना चाहिए। अडाणी को बिक्री के लिए छह करोड़ वर्ग फुट जगह मिल रही है, जिससे उन्हें तीन लाख करोड़ रुपये की कमाई होने वाली है। धारावी परियोजना में किसका भला होने वाला है? स्थानीय निवासियों का या अडाणी का?”

एक निवासी ने कहा, “इस क्षेत्र में हजारों झुग्गी-झोपड़ी हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार से पांच परिवार रहते हैं। पुनर्विकास के बाद, उन्हें केवल एक फ्लैट मिल सकता है, जो उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा।”

पुनर्विकास के बाद इस तरह के कारोबार का अस्तित्व नहीं बचेगा

स्थानीय निवासी तरूण दास ने कहा, ‘‘2,000 से अधिक इडली विक्रेता धारावी में रह रहे हैं और पूरे शहर को इसकी आपूर्ति करते हैं। पुनर्विकास के बाद इस तरह के कारोबार का अस्तित्व नहीं बचेगा। चमड़े के उत्पाद, कृत्रिम जेवरात सहित अन्य वस्तुओं बनाने वाली इकाइयां बंद हो जाएंगी।” (एजेंसी)